
UP ATS found code words created for conversion in religion conversion case
लखनऊ. UP ATS found code words created for conversion in religion conversion case. धर्मांतरण के बड़े खुलासे के बाद एटीएस की निगरानी आरोपियों के गिरोह पर बनी है। शनिवार शाम राजधानी लखनऊ में पकड़े गए आरोपियों ने एटीएस की कड़ी पूछताछ में बताया कि वह साइन लैंग्वेज कोड वर्ड के जरिये बात करते थे। एटीएस ने कोड वर्ड को डिकोड किया है। शेष एक बचे कोड वर्ड डिकोड करना बाकी है। कुल सात कोड वर्ड एटीएस की जानकारी में आए हैं जिससे गिरोह में शामिल मूक बधिर बच्चे बात करते थे। इनमें से छह का पता एटीएस को लग गया है।
एटीएस आईजी जीके गोस्वामी ने कहा कि जिस तरह से साइन लैंग्वेज मामले में मूक बधिर बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा था, इसके लिए कुछ कोड तैयार किए गए थे, जिनसे बातचीत की जाती थी। इन सभी का अलग-अलग मतलब है। पुलिस की पहुंच से दूर रहने से लेकर विदेशी फंडिंग तक की जानकारी देने या लेने तक के लिए इन कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता था।
यह थे कोड वर्ड
मुतक्की- इस शब्द का इस्तेमाल बार-बार बोलकर बच्चों और अन्य में बातचीत के लिए प्रयोग किया जाता था।
रहमत- विदेशों से आने वाली फंडिंग के लिए इस कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे कि किसी को शक न हो। विदेशी फंडिंग के लिए 'रहमत' शब्द का इस्तेमाल कर बातचीत की जाती थी।
अल्लाह के बंदे- इसका मतलब सोशल मीडिया मसलन यूट्यूब, फेसबुक पर मूक बधिरों के लिए डाले गए वीडियो जिन पर लाइक आए हों।
रिवर्ट बैक टू इस्लाम प्रोग्राम- यह कोड वर्ड धर्म परिवर्तन के लिए इस्तेमाल किया जाता था। डेफ सोसायटी के टीचर इसी कोर्ड वर्ड का इस्तेमाल करते थे। छात्रों को इसी कोड वर्ड से बातचीत के जरिये धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जाता था।
सलात- यह शब्द नमाज के लिए कहा जाता था। इस्लाम में जो धर्मांतरण करता है उसे यह जिम्मेदारी दी जाती है। यह शब्द बार-बार बोलकर नमाज संबंधित बात कही जाती थी। इसे आम बोलचाल में भी इस्तेमाल किया जाता था जिससे कि किसी को शक न हो।
मोबाइल नंबर और जन्मतिथी- यह कोडवर्ड धर्म परिवर्तन करवाने का नाम था। इसे आईडी के रूप में इसे बनाया गया था।
कौम का कलंक- यह वह कोड वर्ड है जिसे डिकोड नहीं किया जा सका है। इस कोड वर्ड की जांच की जा रही है।
Published on:
29 Jun 2021 10:58 am
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