
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि प्रदेश में कोरोना महामारी से स्थितियां भयावहता की गम्भीरतम स्थिति तक पहुंच गयी हैं। राजधानी लखनऊ चीन का वुहान बन चुका है, यहां के अधिकांश मोहल्ले मौत के मातम में डूबे हुए हैं। सरकार और उसकी व्यवस्था पंगुता के शिकार हैं, उसकी अक्षमता और अनुभवहीनता ने प्रदेश की जनता को घोर संकट में डाल दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि आखिर हो रही मौतों के लिये कौन जिम्मेदार है? और संक्रमण से मौत के तांडव को रोकने की कोई स्पष्ट कार्ययोजना क्यों नहीं है। हवा-हवाई दावों और वादों का धरातल पर असर नकारात्मक क्यूों है? उन्होंने कहा कि सरकार में अंशमात्र भी नैतिक बल हो तो संक्रमण के व्यापक फैलाव और मौतों की जिम्मेदारी स्वयं आगे आकर ले और यह बताये की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर संक्रमणकाल में कहां हैं या उन्हें सरकार ने जबरन छुट्टी पर भेज दिया है?
अजय कुमार लल्लू ने कहाकि ब्रांडिंग और बड़ी-बड़ी बयानबाजी के लिए कुख्यात राज्य के मुखिया बताएं की राज्य में टीकाकरण अभियान निम्न स्तर तक सुस्त क्यूों है? युद्धस्तर पर वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत क्यूों नहीं की गई। अभी तक प्रदेश में मात्र 4 प्रतिशत के लगभग ही वैक्सीनेशन क्यूों हो पाया। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन और रेमेडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है, ये 5 से लेकर 25 गुना तक महंगे दामों में बेचे जा रहे हैं। यह महापाप और अमानवीय भ्रष्टाचार कब बंद होगा? ऑक्सीजन और रेमेडिसिविर इंजेक्शन की सुचारू आपूर्ति कब तक दुरुस्त होगी?
ये कलंकित व्यापार कब रुकेगा? अजय लल्लू
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने राज्य सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बतायें कि अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिये ऑक्सीजन, बेड, दवाइयां, आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी इतनी भयावहता के बाद भी इतने लंबे समय तक दूर क्यूों नहीं की गई, क्या ये कुछ संगठित गिरोहों को फायदा पहुंचाने के खेल प्रतीत नहीं होता है? ये कलंकित व्यापार कब रुकेगा? लेवल-1, लेवल-2 और लेवल-3 तक के बेड के अस्पतालों में संख्या पहले की अपेक्षा क्यूों घट गयी? कोविड महामारी की दूसरी लहर की चेतावनी विभिन्न विषेज्ञों द्वारा पहले ही दी जा चुकी थी फिर इससे लड़ने के लिए आवश्यक प्रबन्ध क्यूों नहीं किये गए, आखिर तथाकथित टीम 11 कर क्या रही थी?
सीएमओ की रेफरल पर्ची की अनिवार्यता क्यों?
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कोरोना संक्रमित मरीजों की भर्ती के लिये सीएमओ की रेफरल पर्ची की अनिवार्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि मरीजों को इलाज उपलब्ध कराने के बजाय लंबी प्रक्रिया में उलझा देना सर्वथा अनुचित और अमानवीय है। कोविड पॉजिटिव अथवा नेगेटिव रिपोर्ट वाले कोरोना के लक्षण युक्त मरीजों को सीधे कोविड अस्पताल में भर्ती करने के स्थान पर सीएमओ की रेफरल पर्ची की अनिवार्यता के चंगुल में फंसाकर समय से इलाज से दूर करना बढ़ती मौतों का सबसे बड़ा कारण बन गया है। व्यवहारिकता व चिकित्सक की सलाह के आधार पर तत्काल मरीज को इलाज देने में सरकार की यह बाध्यता सबसे बड़ी रुकावट है।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए क्या व्यवस्था है : अजय लल्लू
रेफरल पर्ची की अनिवार्यता तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए उंन्होने कहा कि गांव और गरीबों के लिए सरकार की कोरोना काल की दूसरी लहर में क्या व्यवस्थाएं हैं। क्योंकि दूसरी लहर का प्रकोप गांव और गरीबो को अपनी गिरफ्त में तेजी के साथ ले रहा है। जब प्रदेश की राजधानी के साथ ही वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर और आगरा जैसे महानगरों की दुर्दशा हो गयी है तब गांव की स्थिति की कल्पना ही रूह कँपा देने वाली है। ऐसे में सरकार बताए उसकी ग्रामीण क्षेत्रों के बचाव और इलाज की क्या व्यवस्था है।
Updated on:
21 Apr 2021 05:09 pm
Published on:
21 Apr 2021 05:02 pm
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
