
Jitin Prasad
अभिषेक गुप्ता
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. UP Assembly Election 2022 Updates. उत्तर प्रदेश की सियासत में एक अहम मोड़ आ गया है। अब तक कांग्रेस के बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान रखने वाले जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) को भाजपा (BJP) ने अपने पाले में कर लिया है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जमीन तलाश रही कांग्रेस (Congress) के लिए यह बड़ा झटका है। जितिन प्रसाद की पीड़ा थी कि उनका इस्तेमाल जिस तरह कांग्रेस को करना चाहिए था, वह वो नहीं कर पा रही थी। जितिन बीते कुछ वर्षों से कांग्रेस के अंदर छटपटा रहे थे। इसके पहले भी उन्होंने पार्टी छोड़ने के संकेत दिए थे। तब उन्हें मना लिया गया था। बुधवार भाजपा ज्वाइन करते समय उनका दर्द बाहर छलक अया। वे बोले- यदि राजनीति में रहते हुए आप लोगों की मदद नहीं कर सकते, तो उस राजनीति का क्या फायदा। माना जा रहा है कि भाजपा अब यूपी में जितिन को बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करेगी।
कांग्रेस से असंतुष्ट चल रहे जितिन पर भाजपा पहले से ही नजर थी। इसी क्रम में पार्टी ज्वाइन करने से चुपचाप जेपी नड्डा और अमित शाह से जितिन की मुलाकात भी करवायी गयी। भाजपा को पता है कि जितिन प्रसाद का राजनीतिक कॅरियर बेदाग है। और वह कांग्रेस में अहम पदों पर रह चुके हैं।
पिता जितेंद्र प्रसाद, राजीव और नरसिम्हाराव के थे सलाहकार-
2004 में जितिन ने अपने गृह जिले शाहजहांपुर से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता था। कांग्रेस सरकार में वह इस्पात राज्य मंत्री रहे। फिर 2009 से 2011 तक उन्होंने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री का पद संभाला। 2011-12 तक वह पेट्रोलियम मंत्री भी रहे। 2012-14 तक उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री का पद भी संभाला। इससे पहले उनके दादा ज्योति प्रसाद कांग्रेस के बड़े नेता रहे। उन्होंने स्थानीय निकायों से लेकर विधानसभा तक कांग्रेस का नेतृत्व किया। जबकि, उनके पिता जितेंद्र प्रसाद भी कांग्रेस में बड़े नेता थे। वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी व नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार भी थे।
2014 के बाद से कांग्रेस में उपेक्षित-
2014 के बाद जितिन प्रसाद का कांग्रेस से मोहभंग होने लगा। उन्हें उम्मीद थी कि वह प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए जाएंगे लेकिन यूपी की राजनीति में प्रियंका का कद बढऩे के साथ ही उनका कद घटना शुरू हो गया। धीरे धरीे खटास इतनी बढ़ी कि वे पिछले कई वर्षों में लखनऊ में कांग्रेस के पार्टी दफ्तर भी नहीं आए। दिल्ली से सीधे अपने घर लखीमपुर धौरहरा जाते थे। इस बीच उन्होंने ब्राह्मण परिषद का गठन कर ब्राह्मणों का नेता बनकर प्रियंका का ध्यान खींचने की कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
बृजेश पाठक और दिनेश शर्मा के रहते कितना होगा असर-
भाजपा में दिनेश शर्मा और बृजेश पाठक जैसे नेता पहले से ही मौजूद हैं। ऐसे में सवाल है कि भाजपा में इन बड़े ब्राह्मण चेहरों की मौजूदगी के बाद जितिन प्रसाद का क्या काम। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह दोनों नेता राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में खुद को स्थापित नहीं कर पाए। दिनेश शर्मा का उतना जमीनी आधार नहीं है जबकि बृजेश पाठक पर बसपा से आने की छवि अभी तक धुल नहीं पायी है। जितिन प्रसाद का गृहजनपद धौरहरा, लखीमपुर और शाहजहांपुर है। यह तराई बेल्ट जिसमें बरेली से लेकर कर पीलीभीत, लखीमपुर, बहराइच, शाहजहांपुर तक आता है, वहां जितिन प्रसाद की पहचान बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में है। ऐसे में जितिन प्रसाद सेंट्रल यूपी में बड़े नेता साबित हो सकते हैं।
Published on:
09 Jun 2021 04:51 pm
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