
UP Farmer Crisis News: उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के नगराम और आसपास के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों किसान मौसम की मार से बेहद परेशान हैं। मार्च-अप्रैल का महीना किसानों के लिए हर साल एक उम्मीद लेकर आता है, गेहूं की फसल की कटाई और मंडाई का समय। लेकिन इस बार मौसम ने अपना ऐसा रुख बदला है कि खेतों में पसरा सुनहरा सपना अब सड़ने की कगार पर है। तीन दिन पहले आई तेज आंधी और बेमौसम बारिश ने किसानों को पहले ही बड़ा झटका दिया था। खेतों में कटी पड़ी गेहूं की फसल भीग गई थी और कटाई का काम ठप हो गया था। किसान जैसे-तैसे फसल को सूखने का मौका देने का इंतजार कर ही रहे थे कि रविवार की शाम एक बार फिर तेज आंधी और बारिश ने उनकी उम्मीदों को तहस-नहस कर दिया। खेतों में रखी फसल एक बार फिर गीली हो गई, और कई जगहों पर हवा के झोंकों से बिखर भी गई।
किसानों के लिए यह दौर बेहद कठिन होता जा रहा है। नगराम क्षेत्र के किसान अब आसमान की ओर ताक रहे हैं, न तो लगातार धूप दिख रही है, न मौसम स्थिर हो रहा है। हर दिन बदलता मौसम, किसानों के दिल में डर भर रहा है कि कहीं एक और बारिश सब कुछ बर्बाद न कर दे। नगराम क्षेत्र के करोरा, समेसी, हरदोईया, बहरौली, अमवा मुर्तजापुर, गढ़ा, अब्बास नगर, असलम नगर, नबीनगर, हुसेनाबाद, छतौनी जैसे सैकड़ों गांवों के खेतों में कटी पड़ी फसल बिखरी पड़ी है। किसान दिन-रात खेतों की निगरानी कर रहे हैं, लेकिन मजबूरी ये है कि वे प्रकृति के आगे बेबस हैं।
समेसी गांव के किसान रामधनी यादव कहते हैं, "बारिश से पहले गेहूं काटकर खेत में रख दिया था। सोचा था दो-चार दिन में धूप लगेगी तो दाने सूख जाएंगे, लेकिन अब तो दोबारा बारिश हो गई। अगर एक और बरसात हुई तो फसल सड़ जाएगी। पूरी साल की मेहनत बर्बाद हो जाएगी।" ऐसी ही कहानी असलम नगर के किसान शिवप्रसाद की है। वे बताते हैं, "हर दिन मौसम बदल रहा है। मोबाइल में मौसम देखने से कुछ नहीं होता, आसमान ही धोखा दे रहा है। कई बीघा फसल खेत में पड़ी है, और हर शाम आंधी-पानी का डर लगा रहता है।"
खेती-किसानी पर निर्भर इन गांवों में ज्यादातर किसानों की साल भर की आमदनी गेहूं की फसल से ही होती है। बेमौसम बारिश और आंधी ने उन्हें ना केवल मानसिक रूप से परेशान कर दिया है बल्कि आर्थिक रूप से भी एक गहरे संकट की ओर धकेल दिया है। खेती के जानकारों का कहना है कि अगर बारिश और नमी लगातार बनी रही, तो फसल में फफूंद लगने की संभावना है, जिससे दाने काले पड़ सकते हैं और बाज़ार में उनकी कीमत गिर जाएगी। किसानों को दोहरा नुकसान झेलना पड़ेगा, उत्पादन कम और दाम भी कम।
कई किसानों ने स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में विशेष राहत दल भेजे जाएं और खेतों में नुकसान का आकलन कर किसानों को मुआवजा दिया जाए। अगर अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो कई किसान कर्ज के बोझ तले दब सकते हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले दिनों में मौसम फिर से अस्थिर बना रहेगा। किसानों को सलाह दी गई है कि वे फसल को जल्द से जल्द सुखाने की व्यवस्था करें और मंडाई में देर न करें। यदि संभव हो तो फसल को तिरपाल से ढककर रखें और खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
Updated on:
14 Apr 2025 12:20 pm
Published on:
14 Apr 2025 12:19 pm
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