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Good News: यूपी के 30 हजार शिक्षामित्रों को राहत, अब अपने गांव के पास स्कूल में होगी तैनाती

UP Government: उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें अपने गृह जिले और मूल विद्यालय में तैनाती का अवसर देने का आदेश जारी किया है। इस फैसले से करीब 30 हजार शिक्षामित्रों को लाभ मिलेगा और लंबे समय से चली आ रही उनकी मांग अब पूरी होती नजर आ रही है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Dec 10, 2025

यूपी के शिक्षामित्रों के लिए बड़ी राहत: अब अपने गृह जिले और मूल विद्यालय में तैनाती का रास्ता साफ (फोटो सोर्स : Information Department )

UP Government Good News: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश भर के शिक्षामित्रों को वर्षों बाद बड़ी राहत दी है। लंबे समय से अपने मूल विद्यालयों में वापसी की प्रतीक्षा कर रहे लगभग 30 हजार शिक्षामित्रों के लिए शासन ने आखिरकार आदेश जारी कर दिया है। इस फैसले के तहत अब शिक्षामित्रों को अपने गृह जिले, ग्राम सभा या मूल विद्यालय के समीप कार्य करने का अवसर मिलेगा। इसको शीतकालीन अवकाश से पहले लागू कराने की तैयारी की जा रही है, जिससे हजारों परिवारों को बड़ा सुकून मिलने की उम्मीद है।

वर्षों पुरानी मांग को मिली मंजूरी

शिक्षामित्र लंबे समय से यह मांग करते रहे हैं कि उनकी तैनाती उनके मूल विद्यालय या गृह क्षेत्र के नजदीक की जाए, ताकि उन्हें पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों को निभाने में सुविधा हो। सरकार की ओर से पहले भी कई बार निर्देश जारी हुए, लेकिन जमीन पर उनका क्रियान्वयन नहीं हो सका। अब बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अवधेश कुमार तिवारी द्वारा जारी आदेश के बाद यह उम्मीद जगी है कि इस बार यह प्रक्रिया वास्तविक रूप से लागू होगी।

किसे मिलेगा इस फैसले का लाभ

इस निर्णय से प्रदेश के करीब 30 हजार शिक्षामित्र लाभान्वित होंगे। खास तौर पर महिला शिक्षामित्रों के लिए यह फैसला बड़ी राहत लेकर आया है। अब महिलाएं अपने वर्तमान तैनाती स्थल के बजाय अपने गृह ग्राम, पति के गांव या नगर क्षेत्र के वार्ड में नियुक्ति पा सकेंगी, जिससे उन्हें घर-परिवार की जिम्मेदारियों के साथ नौकरी करने में सुविधा होगी। पुरुष तथा अविवाहित महिला शिक्षामित्रों को भी विकल्प दिया गया है कि वे अपने मूल तैनाती विद्यालय या उससे संबंधित ग्राम सभा में स्थानांतरण का विकल्प चुन सकें।

कैसे होगी वापसी की प्रक्रिया

  • सरकार ने प्रक्रिया को चरणबद्ध और पारदर्शी बनाने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत:
  • पहले शिक्षामित्रों से एक निर्धारित प्रारूप पर जानकारी और विकल्प लिए जाएंगे।
  • जो शिक्षामित्र अपनी वर्तमान तैनाती पर ही बने रहना चाहते हैं, उनके विकल्प में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
  • जो शिक्षामित्र अपने मूल विद्यालय या गृह क्षेत्र में जाना चाहते हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।

यदि मूल विद्यालय में पद रिक्त है तो सीधे वहीं तैनाती दी जाएगी। यदि वहां स्थान खाली नहीं है, तो उसी ग्राम सभा, ग्राम पंचायत या वार्ड के किसी अन्य विद्यालय में रिक्ति होने पर उन्हें समायोजित किया जाएगा।

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनेगी समिति

सरकार ने इस प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी रखने के लिए एक जिला स्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया है। यह समिति जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कार्य करेगी। इसमें निम्न सदस्य शामिल होंगे:

  • मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ)
  • डायट प्राचार्य
  • बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए)
  • सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी
  • यह समिति शिक्षामित्रों के आवेदन, रिक्त पदों की स्थिति और समायोजन की पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगी।

पहले भी जारी हो चुके हैं आदेश

उल्लेखनीय है कि शिक्षामित्रों के समायोजन और मूल विद्यालय वापसी को लेकर सरकार ने इस वर्ष 3 जनवरी को शासनादेश जारी किया था। इसके बाद 12 जून को इसके क्रियान्वयन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी हुए थे। हालांकि, विभिन्न प्रशासनिक कारणों से प्रक्रिया को पूर्ण रूप से जमीन पर लागू नहीं किया जा सका। हाल ही में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने चेतावनी दी थी कि यदि इस प्रक्रिया को जल्द शुरू नहीं किया गया तो संगठन आंदोलन करेगा। इसके बाद ही सरकार ने इस मामले पर तेजी दिखाई और नया आदेश जारी किया गया।

संगठन का स्वागत

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय हजारों शिक्षामित्रों के लिए राहत का बड़ा संदेश है। उन्होंने आशा जताई कि जिला स्तर पर जल्द से जल्द इसकी प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि शिक्षामित्रों को जल्द उनके घर के पास तैनाती मिल सके। संघ ने शासन का आभार जताते हुए इसे शिक्षामित्रों के हित में “ऐतिहासिक कदम” बताया है।

हर विद्यालय में शिक्षामित्रों की सीमा तय

सरकार ने व्यवस्था को संतुलित बनाए रखने के लिए यह भी निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक विद्यालय में अधिकतम दो शिक्षामित्र ही तैनात रह सकते हैं। केवल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विद्यालयों में यह सीमा अधिकतम तीन शिक्षामित्रों तक रखी गई है।
इसी नियम के आधार पर जिलों में रिक्त पदों का आकलन किया जाएगा और उसी अनुपात में स्थानांतरण व समायोजन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

  • दो चरणों में होगी समायोजन की प्रक्रिया
  • शासन ने स्पष्ट किया है कि पूरी प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होगी:

पहला चरण:

  • मूल विद्यालय या पास के विद्यालयों में रिक्त पदों पर इच्छुक शिक्षामित्रों की तैनाती

दूसरा चरण:

  • शेष शिक्षामित्रों का व्यापक स्तर पर समायोजन
  • दूसरे चरण के लिए अलग से दिशा-निर्देश बाद में जारी किए जाएंगे

शिक्षामित्रों में खुशी की लहर

इस निर्णय के बाद प्रदेशभर के शिक्षामित्रों में खुशी की लहर है। कई शिक्षामित्र ऐसे हैं, जो वर्षों से दूर-दराज के जिलों में तैनात थे और परिवार से दूर रहकर सेवा दे रहे थे। अब उन्हें उम्मीद है कि वे अपने घर के पास विद्यालयों में सेवा दे सकेंगे।