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यूपी को यह हुआ क्या? कहीं धूल है तो कहीं धुआं-धुआं! सीएम योगी ने दिए यह निर्देश

locationलखनऊPublished: Nov 08, 2020 04:22:51 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

– लखनऊ समेत कई शहरों की आबोहवा (Air quality) में घुला ‘जहर’, सांस लेना हुआ दूभर.

Air Pollution

Air Pollution

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की आबोहवा इन दिनों इतनी प्रदूषित (Air Pollution) हो चली है कि इसे नंगी आंखों से देखा व महसूस किया जा सकता है। अभी नंवबर का पहला सप्ताह ही खत्म हुआ है, दिवाली का जश्न मनाना अभी बाकी है, उससे पहले ही आबो हवा की यह स्थिति चिंताजनक है। स्वास्थ्य के लिए तो यह हानिकारक है ही, लोगों को आवागमन में भी दिक्कत हो रही है। सड़कों पर विजिबिलटी (Visibility) ऐसी है कि कुछ इलाकों में दिन में ही वाहनों की हेडलाइट का सहारा लेना पड़ रहा है। सर्दी धीरे-धीरे अपने पांव पसार रही है और धूल व धुआं साथ में मिलकर हवा में ‘जहर’ घोल रहे हैं।
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राजधानी लखनऊ समेत यूपी के कई शहर व अनेक गांव धूल व धुंए की मोटी चादर में लिपटे नजर आ रहे हैं। नतीजा यह है कि लखनऊ बीते दिनों देश का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया। सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार रविवार को भी यहां का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 395 रिकॉर्ड किया गया, जो काफी खराब की श्रेणी में आता है। उधर गाजियाबाद में 436, नोएडा में 426, आगरा में 417, कानपुर 412, बागबत में 407, मोरादाबाद में एक्यूआई 384 दर्ज किया गया। मुख्यमंत्री भी इसको लेकर गंभीर है। प्रदूषण को फैलने से रोकने के लिए उन्होंने अधिकारियों को जरूरी निर्देश भी दिए हैं।
सीएम ने दिए निर्देश-

मुख्यमंत्री योगी ने बैठक में कहा कि हमारा राज्य विशाल है। इन दिनों वातावरण में काफी प्रदूषण है। हमें किसानों को पराली जलाने से रोकना होगा। सीए योगी ने इस संबंध में किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान एवं अन्य लोगों से संवाद व उनके सहयोग से पराली जलाने से रोका। उन्होंने पराली से बायोफ्यूल बनाने की सम्भावनाओं पर विचार किए जाने पर बल दिया।
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यह हैं प्रदूषण फैलने की वजह-

पश्चिम यूपी हो या पूर्वी, वायु प्रदूषण चरम पर है। लॉकडाउन के बाद शहरों में निर्माण कार्यों ने तेजी पकड़ी है, जिससे धूल उठ रही है। किसानों द्वारा पराली जलाने से भी धुआं वातावरण में घुलता जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें, तो ओस के कारण आसमान में ऊंचाई पर पहुंचे धूल के कण व धुआं नीचे आने लगे हैं। यह धुंध के रूप में दिखाई दे रही है। वरिष्ठ पर्यावरण वैज्ञानिक व स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज के महानिदेशक डॉ. भरत राज सिंह का कहना है हर वर्षा वाहनों की संख्या बढ़ रही हैं। इस कारण ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन व सड़क की धूल में हर साल इजाफा हो रहा है। मौसम में गर्मी होने पर धूल के कण व धुआं ऊंचाई पर पहुंच जाते हैं लेकिन जैसे ही ठंड का मौसम शुरू होता है, वे नीचे आ जाते हैं।
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