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UP Government: उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) ने सिपाही भर्ती परीक्षा के परिणाम को दिसंबर 2024 के अंत तक जारी करने की घोषणा की है। भर्ती बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, लिखित परीक्षा के परिणाम के बाद जनवरी 2025 में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन (डीवी) और फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट (पीएसटी) आयोजित किए जाएंगे। इस प्रक्रिया में आरक्षण के अनुसार मेरिट के आधार पर चयनित अभ्यर्थियों को बुलाया जाएगा, जो कि कुल आवेदकों के ढाई गुना होंगे। अनुमान है कि इस प्रक्रिया के तहत लगभग डेढ़ लाख से अधिक अभ्यर्थियों को कॉल लेटर भेजे जाएंगे।
डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट (डीवी-पीएसटी) जोनल मुख्यालय पर आयोजित किया जाएगा। हर अभ्यर्थी को उसके नजदीकी जोनल मुख्यालय पर बुलाया जाएगा, जबकि दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को उनके राज्य के नजदीकी यूपी के जोनल मुख्यालय पर बुलाया जाएगा। उदाहरण के लिए, बिहार के अभ्यर्थियों को गोरखपुर या वाराणसी, राजस्थान के अभ्यर्थियों को आगरा, और हरियाणा व पंजाब के अभ्यर्थियों को मेरठ बुलाया जाएगा।
भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी अभ्यर्थियों को प्रशिक्षित करने में लंबा वक्त लग सकता है, क्योंकि प्रदेश सरकार के पास इतनी बड़ी संख्या में सिपाहियों को एक साथ प्रशिक्षित करने के पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। वर्तमान में, उत्तर प्रदेश में पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए 11 पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, कॉलेज, और स्कूल हैं, जिनमें कुल 12,000 कर्मियों को प्रशिक्षित करने की क्षमता है। इसके अतिरिक्त, पीएसी बटालियनों की 103 इकाइयां भी हैं, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को प्रशिक्षित करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
दिसंबर में रिजल्ट: यूपी सिपाही भर्ती का परिणाम दिसंबर के अंत तक जारी होगा।
प्रशिक्षण की चुनौती: 12,000 पुलिस कर्मियों की प्रशिक्षण क्षमता के साथ सरकार को प्रशिक्षण में होगी परेशानी।
भर्ती प्रक्रिया के चरण: तीन चरणों में होगी चयनित अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग।
उत्तर प्रदेश पुलिस सिपाही भर्ती के लिए चयनित अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग अवधि लगभग छह महीने की होती है।
चयनित सिपाहियों को शुरुआत में लगभग 6 महीने की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें पुलिसिंग के मूल सिद्धांत, कानून-व्यवस्था को बनाए रखने, अपराध की जांच, आत्मरक्षा और शारीरिक फिटनेस से संबंधित प्रशिक्षण शामिल होता है।
बेसिक ट्रेनिंग के बाद, सिपाहियों को ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग भी दी जाती है, जो लगभग 2 से 3 महीने की होती है। इसमें उन्हें वास्तविक कार्य परिस्थितियों में अनुभव प्राप्त करने का मौका मिलता है, जैसे कि थानों में ड्यूटी, ट्रैफिक कंट्रोल, भीड़ प्रबंधन, और फील्ड ट्रेनिंग।
इसके अलावा, कुछ सिपाहियों को विशेष कौशल (जैसे साइबर क्राइम, महिला सुरक्षा, एंटी-टेरर ऑपरेशंस आदि) में अतिरिक्त प्रशिक्षण दिया जा सकता है, जिसकी अवधि संबंधित प्रशिक्षण के प्रकार पर निर्भर करती है।
चूंकि प्रदेश सरकार के पास वर्तमान में 12,000 पुलिस कर्मियों की प्रशिक्षण क्षमता है, ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में चयनित अभ्यर्थियों को प्रशिक्षित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस कारण से, प्रशिक्षण को तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है, ताकि सभी सिपाहियों को प्रभावी ढंग से प्रशिक्षित किया जा सके। इस प्रकार, कुल मिलाकर पुलिस सिपाही की ट्रेनिंग की अवधि छह महीने से लेकर नौ महीने तक की हो सकती है, जिसमें बेसिक ट्रेनिंग और ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग दोनों शामिल हैं।
Published on:
06 Sept 2024 09:45 am
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