
UP Population control law final draft changes
लखनऊ. UP Population control law final draft changes. बढ़ती आबादी को विकास में बाधा मानते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते दिनों जनसंख्या नियंत्रण की नई नीति (UP Population Control Law) लागू की थी। इस पर 19 जुलाई तक जनता की राय मांगी गई थी। नई जनसंख्या नीति पर 8500 से ज्यादा सुझाव मिले हैं। सुझाव के आधार पर किए जाने वाले संशोधन को उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग अगले महीने जनसंख्या नियंत्रण कानून का मसौदा योगी सरकार को सौंपने की तैयारी में है। प्रस्तावित कानून पर कई अहम बिंदुओं पर नए सिरे से मंथन होगा। आयोग के प्रस्तावित प्रारूप में कई बिंदुओं पर छूट का दायरा बढ़ भी सकता है और कुछ कटौतियां भी हो सकती हैं। फाइनल फैसला प्रदेश की आबादी को ध्यान में रखकर किया जाएगा।
राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आदित्य नाथ मित्तल का कहना है कि विधेयक मसौदा आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था। ज्यादातर सुझाव ई-मेल पर प्राप्त हुए हैं। सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश से आठ हजार से अधिक सुझाव मिले हैं, जिन्हें अलग-अलग श्रेणी में बांटकर उनका अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक नागरिक ने 28 पेज का सुझाव भेजा है, जबकि विधेयक का मसौदा ही 18 पेज का था। यह विधेयक उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) एक्ट 2021 के नाम से जाना जाएगा और यह 21 वर्ष से अधिक उम्र के युवकों और 18 वर्ष से अधिक उम्र की युवतियों पर लागू होगा।
मसौदे पर राजनीतिक बहस
जनसंख्या विधेयक के मसौदे पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। टू चाइल्ड पॉलिसी या वन चाइल्ड पॉलिसी के अंतर्गत दंपत्ति को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने के फैसले पर बहस छिड़ गई है। आयोग ने अपने मसौदे में दो बच्चे तक सीमित दंपत्ति को कई तरह की सुविधाएं देने और दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों से वंचित करने और स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत कई तरह के प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया है। उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर दूसरे राज्यों तक में चर्चा छिड़ी है। इसी कड़ी में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्याध्यक्ष अध्यक्ष आलोक कुमार ने बीते दिनों विधि आयोग के प्रस्तावित प्रारूप पर सवाल उठाया था। उनका कहना था कि केवल एक ही बच्चा पैदा करने वाले दंपती को अधिक लाभ दिए जाने के बिंदु पर दोबारा विचार करना चाहिए।
न्यूनतम सीमा तीन बच्चों की हो
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कुछ अनुषंगिक संगठनों ने दो बच्चों के बजाए कानून को तीन बच्चों की न्यूनतम सीमा के अनुरूप बनाए जाने का सुझाव दिया है। राज्य विधि आयोग अब सभी बिंदुओं पर मंथन करेगा। प्रदेश की जनसंख्या के आंकड़ों का भी अध्ययन किया जा रहा है।
Published on:
20 Jul 2021 12:05 pm
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