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लापरवाही की हद: इस बार भी बिना किताबों-यूनिफॉर्म के शुरू होगा प्राइमरी स्कूलों का सत्र

स्वेटर समय पर न बंटने के कारण प्राथमिक शिक्षा विभाग की किरकिरी हुई थी अब किताबें और यूनिफॉर्म भी इस सत्र में बच्चों को समय से नहीं मिलेंगी...

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लखनऊ. अभी कुछ महीने पहले ही स्वेटर समय पर न बंटने के कारण प्राथमिक शिक्षा विभाग की किरकिरी हुई थी अब किताबें और यूनिफॉर्म भी इस सत्र में बच्चों को समय से नहीं मिलेंगी। इस बार भी सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों का नया सत्र पुरानी किताबों और यूनिफॉर्म के साथ ही शुरू होगा। सत्र एक अप्रैल से शुरू होना है। किताबों का टेंडर तो हो गया है लेकिन छपाई और जिलों तक वितरण होने में ही कई महीने लग जाएंगे। वहीं यूनिफॉर्म खरीदने की तो प्रक्रिया ही अप्रैल के बाद ही शुरू हो पाएगी।

अप्रैल से ही शुरू होगा सत्र

बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े जानकारों का कहना है कि सरकार ने सीबीएसई और सीआईएससीई की तरह नया सत्र तो अप्रैल से कर दिया है लेकिन बाकी तैयारियां जुलाई को ध्यान में रखकर ही शुरू हो पाती हैं। किताबों के लिए टेंडर 23 फरवरी को हो पाया है। जानकारों का कहना है पहले सभी किताबों की नमूना प्रति छापी जाएगी। उन नमूना प्रतियों की जांच होगी। ऐसे में कम से कम डेढ़ महीना तो इस काम में ही लग जाएगा। उसके बाद 1.54 करोड़ बच्चों के लिए करीब सात करोड़ किताबों की छपाई में महीना भर लगेगा। उन किताबों को पहले जिला, ब्लॉक और फिर स्कूल तक पहुंचाने व बंटवाने में भी कम से कम एक महीना लग जाएगा। ऐसे में जुलाई में ही बच्चों को किताबें मिल पाएंगी।

अभी बजट ही नहीं हुआ जारी

शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों का दावा है कि यूनिफॉर्म के लिए अभी बजट ही जारी नहीं हुआ है। सूत्रों का कहना है कि एक अप्रैल के बाद ही नया बजट जारी होगा। उसके बाद जिलों को वह बजट भेजा जाएगा। वहां से स्कूलों तक और फिर फर्म के चयन में भी समय लगेगा। ऐसे में अप्रैल तक यूनिफॉर्म मिलना भी मुश्किल है। बता दें कि सभी बच्चों को यूनिफॉर्म भी मुफ्त दी जाती है।

पुरानी किताबें और यूनिफॉर्म ही विकल्प

शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि सभी किताबें छपना मुश्किल है। ऐसे में कोशिश यह होगी कि भाषा और गणित की किताबें पहले पहुंचा दी जाएं। ये किताबें सभी कक्षाओं में चलती हैं। इससे यह भी हो जाएगा कि किताबें बंट गईं। बाकी किताबें बाद में जैसे-जैसे छपती जाएंगी, बच्चों को उपलब्ध करवा दी जाएंगी। यूनिफॉर्म के बारे में कहना है कि इस बार यूनिफॉर्म में बदलाव तो किया नहीं गया है। जब तक नई नहीं मिलती है, पुरानी यूनिफॉर्म पहनकर बच्चे आ सकते हैं। पाठ्य पुस्तक अधिकारी अमरेंद्र सिंह का कहना है कि इस बार फरवरी में ही किताबों का टेंडर हो गया है। हम पूरी कोशिश करेंगे कि बच्चों को समय पर किताबें उपलब्ध करवा सकें। प्रकाशकों को भी समय से किताबें छापने के निर्देश दिए गए हैं।

समय पर नहीं बट पाए थे स्वेटर

बीते ठंड के मौसम में ज्यादातर जिलों के प्राइमरी स्कूलों में स्वटेर समय से नहीं बटे।राजधानी में ही 1800 प्राइमरी और जूनियर हाई स्कूलों में बच्चों को स्वेटर उपलब्ध करवाने का प्रदेश सरकार का दावा फेल हो गया है। बाकी जिलों की स्थिति क्या होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। राजधानी में सरकार की ओर से स्कूलों के 1.72 लाख बच्चों को स्वेटर बांटे जाने हैं, स्कूल को विभाग की ओर से देर से बजट मिला। शिक्षा विभाग की ओर से आठ स्कूलों को स्वेटर खरीदने के लिए बजट जारी भी किया गया है तो सिर्फ आधा। ऐसे में ठंड में बच्चे बिना स्वेटर के स्कूल जाने को मजबूर दिखे।