31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Lucknow में कोटेदारों का हंगामा: मानदेय और लाभांश की मांग को लेकर सैकड़ों कोटेदारों ने किया प्रदर्शन, राशन वितरण भी रोका

UP Kotedar Protest: उत्तर प्रदेश के सैकड़ों कोटेदारों ने लखनऊ के जवाहर भवन पर जोरदार प्रदर्शन किया। उनकी मुख्य मांग है,पिछले पांच महीनों से रुका हुआ लाभांश भुगतान और गुजरात की तर्ज पर मासिक मानदेय। आक्रोशित कोटेदारों ने तीन दिन तक राशन वितरण ठप कर दिया और मांगें पूरी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी।

3 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Ritesh Singh

Jul 18, 2025

Ration Dealers Strike फोटो सोर्स : Patrika

Ration Dealers Strike फोटो सोर्स : Patrika

UP Ration Dealers Protest in Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हृदय स्थल जवाहर भवन पर शुक्रवार को खासा हंगामा देखने को मिला, जब प्रदेश भर से आए सैकड़ों कोटेदारों ने सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। कोटेदारों की दो प्रमुख मांगें हैं,पिछले पांच महीने से लंबित लाभांश का भुगतान और गुजरात की तर्ज पर मासिक मानदेय की व्यवस्था। कोटेदारों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो प्रदेश भर में राशन वितरण पूरी तरह से रोक दिया जाएगा।

क्या हैं कोटेदारों की मुख्य मांगें

लाभांश भुगतान

प्रदेश भर के कोटेदारों को पिछले पांच महीनों से डीलरशिप पर मिलने वाला लाभांश नहीं मिला है। यह राशि कोटेदारों के लिए आय का मुख्य स्रोत होती है, जिससे वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उनका कहना है कि बार-बार मांग के बावजूद भी विभाग या सरकार की ओर से कोई सुनवाई नहीं हो रही।

गुजरात की तर्ज पर मानदेय

कोटेदारों की दूसरी मांग है कि उत्तर प्रदेश में भी गुजरात की तर्ज पर उन्हें मासिक मानदेय दिया जाए। गुजरात में डीलरों को ₹10,000 तक मासिक मानदेय मिलता है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह सुविधा अभी तक लागू नहीं की गई है।

प्रणाली में पारदर्शिता

राशन वितरण की डिजिटल प्रणाली में कई तकनीकी खामियों की शिकायतें भी कोटेदारों ने की हैं। उनका कहना है कि बिना किसी गलती के डीलर को दोषी ठहराया जाता है, जिससे उनकी छवि और रोज़ी-रोटी दोनों प्रभावित होती हैं।

कैसे हुआ प्रदर्शन

प्रदर्शनकारी कोटेदार तड़के ही समूहों में लखनऊ पहुंचने लगे। लगभग 10 बजे के आसपास जवाहर भवन परिसर के बाहर बैनर, पोस्टर और नारेबाजी के साथ वे इकठ्ठा हुए। "लाभांश हमारा अधिकार है", "गुजरात जैसा मानदेय चाहिए", "कोटेदारों का शोषण बंद करो" जैसे नारे गूंजते रहे। प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन भीड़ बहुत बड़ी थी, जिससे ट्रैफिक व्यवस्था कुछ समय के लिए प्रभावित हुई।

ज्ञापन सौंपा गया मुख्यमंत्री कार्यालय को

प्रदर्शन के बीच कोटेदारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विशेष कार्याधिकारी (OSD) से मुलाकात की और मांगों का ज्ञापन सौंपा। OSD ने आश्वासन दिया कि ज्ञापन मुख्यमंत्री तक पहुंचा दिया जाएगा और जल्द समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।

राशन वितरण पर पड़ा असर

कोटेदारों ने प्रदर्शन के दौरान ऐलान किया कि वे तीन दिनों तक राशन वितरण का कार्य नहीं करेंगे। इसके चलते कई जिलों में गरीबों और जरूरतमंदों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) से राशन नहीं मिल सका। इस निर्णय से लगभग 1.5 करोड़ परिवारों पर असर पड़ सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां कोटेदार ही एकमात्र वितरण माध्यम हैं।

प्रदर्शनकारियों की जुबानी

  • रमेश यादव, कोटेदार, बलिया: "पिछले पांच महीने से लाभांश नहीं मिला। बच्चों की फीस तक देने के लाले पड़ गए हैं। विभाग सिर्फ तारीख पर तारीख दे रहा है।"
  • सुमन तिवारी, महिला कोटेदार, रायबरेली: "गुजरात के डीलर अगर 10,000 रुपए मानदेय पा सकते हैं, तो हमें क्यों नहीं? हमारी जिम्मेदारी भी कम नहीं है।"

सरकार की प्रतिक्रिया

राज्य सरकार ने अब तक कोई औपचारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं की है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक खाद्य एवं रसद विभाग इस मसले पर गंभीरता से विचार कर रहा है। अधिकारियों की बैठक बुलाई गई है और संभावित समाधान पर चर्चा जारी है।
उत्तर प्रदेश में 80,000 से अधिक कोटेदार हैं जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत गरीबों को सस्ता राशन उपलब्ध कराते हैं। लेकिन उन्हें मिलने वाली सुविधाएं राज्यों में अलग-अलग हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों में डीलरों को मासिक मानदेय के अलावा बीमा, पेंशन और डिजिटल उपकरणों की सुविधा भी दी जाती है, जबकि यूपी में अभी तक केवल लाभांश पर ही डीलर निर्भर हैं।

क्या कहता है कानून

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अनुसार, राज्य सरकारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुचारु और पारदर्शी रखने की जिम्मेदारी दी गई है। इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि डीलरों को लाभांश या मानदेय देना अनिवार्य है, लेकिन राज्य सरकारें अपने विवेकानुसार सुविधा दे सकती हैं। इसी आधार पर कोटेदार मानदेय को "नीतिगत भेदभाव" मान रहे हैं। कोटेदार संघ के अध्यक्ष नवीन श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि "यदि 10 दिनों के भीतर मांगें नहीं मानी गईं, तो प्रदेश भर में अनिश्चितकालीन राशन वितरण बंद कर दिया जाएगा और विधानसभा भवन तक मार्च किया जाएगा।"