
संगठित अपराध के खिलाफ 27 वर्षों की अडिग जंग
UP STF Anniversary 2025: उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध और आतंक के खात्मे के लिए 4 मई 1998 को गठित स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने अपनी 27वीं वर्षगांठ मना ली है। पिछले 27 वर्षों में यह बल यूपी में अपराधियों के लिए आतंक का पर्याय बन चुका है। चाहे कुख्यात माफिया हों या संगठित अपराध के नेटवर्क, एसटीएफ ने अपनी तेज कार्रवाई और रणनीतिक पकड़ से कानून व्यवस्था को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई है। इस विशेष बल की कमान इन दिनों देश के प्रसिद्ध एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ यश के हाथों में है।
90 के दशक में उत्तर प्रदेश में अपराध चरम पर था। माफिया, बाहुबली, और संगठित अपराध के गिरोहों का बोलबाला था। हर दिन कोई न कोई अपहरण, हत्या या रंगदारी की खबर अखबारों की सुर्खियों में होती थी। श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे कुख्यात अपराधियों ने कानून-व्यवस्था को चुनौती देनी शुरू कर दी थी।
ऐसे समय में यूपी पुलिस के लिए यह बेहद जरूरी हो गया था कि एक ऐसा विशेष बल गठित किया जाए जो अत्याधुनिक संसाधनों, रणनीति और जांबाज अफसरों के साथ अपराधियों से लोहा ले सके। 4 मई 1998 को तत्कालीन शासन ने स्पेशल टास्क फोर्स की स्थापना की और देखते ही देखते यह बल प्रदेश में कानून व्यवस्था के लिए एक नया मील का पत्थर बन गया।
एसटीएफ की सबसे पहली बड़ी सफलता कुख्यात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर था। महज कुछ महीनों में इस बल ने उसे ढूंढ निकाला और 1998 में गाजियाबाद में उसे मुठभेड़ में मार गिराया। यह घटना न सिर्फ यूपी बल्कि पूरे देश में एक मिसाल बन गई। इस ऑपरेशन ने एसटीएफ को जनता का विश्वास और अपराधियों के मन में खौफ दिला दिया।
1996 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ यश को यूपी एसटीएफ की कमान सौंपे जाने के बाद बल की कार्रवाई और अधिक सशक्त हो गई। अमिताभ यश को देश में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में जाना जाता है। उन्होंने यूपी, एमपी और छत्तीसगढ़ के बीहड़ों में आतंक का पर्याय रहे ददुआ जैसे कई डकैतों को ढेर किया। उनके नेतृत्व में एसटीएफ ने कई संगठित अपराध गिरोहों का पर्दाफाश किया और वांछित अपराधियों को या तो गिरफ्तार किया या उनका एनकाउंटर कर राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाया।
यूपी एसटीएफ ने बीते वर्षों में दर्जनों बड़े केसों का खुलासा किया है:
यूपी एसटीएफ को आधुनिक तकनीकों और हथियारों से लैस किया गया है। इसमें प्रशिक्षित स्नाइपर्स, साइबर विशेषज्ञ, फॉरेंसिक टीम, और खुफिया तंत्र से जुड़े अधिकारी शामिल हैं। यह बल अब न केवल जमीनी अपराधों बल्कि डिजिटल अपराधों से निपटने में भी माहिर हो चुका है।
महिला अपराधियों के खिलाफ भी एसटीएफ ने कई सघन अभियान चलाए हैं। इसके साथ ही राज्य में मानव तस्करी रोकने के लिए भी एसटीएफ सक्रिय भूमिका निभा रही है। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर विशेष सेल गठित की गई है।
यूपी एसटीएफ ने पिछले 27 वर्षों में जनता के बीच एक भरोसेमंद छवि बनाई है। लोग जानते हैं कि जब कोई मामला बहुत जटिल या संवेदनशील हो, तब एसटीएफ जरूर कार्रवाई में उतरेगी। अपराधियों के मन में इस बल का नाम सुनते ही खौफ पैदा होता है।
अभी भी उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अपराध की चुनौतियां बनी हुई हैं। लेकिन जिस प्रकार एसटीएफ ने अब तक अपनी जिम्मेदारियों को निभाया है, वह निश्चित ही भविष्य में और अधिक प्रभावी कार्रवाई की दिशा में प्रेरणा देता है। बल की अगली प्राथमिकता साइबर अपराध और अंतरराज्यीय अपराध नेटवर्क को खत्म करना है।
Published on:
04 May 2025 10:48 am
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