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लखनऊ

…तो 12 नहीं यूपी की इन 14 सीटों पर होगा विधानसभा उपचुनाव, जानें- क्या है दो सीटों का पेंच

– UP Vidhan Sabha By Elections 2019 की तैयारियों में जुटे सभी दल- विधायकों के सांसद बनने के बाद खाली हुई हैं 11 विधानसभा सीटें- हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाये विधायक की रद्द हो चुकी है विधानसभा सदस्यता- दलबदल विरोधी कानून के तहत हुई कार्यवाही तो दो और सीटों पर होगा उपचुनाव

लखनऊJun 23, 2019 / 07:10 pm

Hariom Dwivedi

UP Vidhan Sabha By Elections 2019

…तो 12 नहीं यूपी की 13 सीटों पर होगा विधानसभा उपचुनाव, जानें- क्या है एक सीट का खेल

लखनऊ. दलबदल विरोधी कानून के तहत अगर कार्यवाही हुई तो 12 नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की 14 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव (UP Vidhan Sabha By Elections 2019) होगा। 17वीं लोकसभा में विधायकों के सांसद चुने जाने के बाद 11 लोकसभा सीटें रिक्त हुई हैं, जिन पर उपचुनाव होना है। इसके अलावा हत्या के 22 साल पुराने मामले में हमीरपुर के विधायक अशोक सिंह चंदेल (Ashok Singh Chandel) को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई है। इसलिए हमीरपुर विधानसभा सीट को मिलाकर 12 सीटों पर पहले से उपचुनाव होना तय है। इसके अलावा यूपी की दो और विधानसभा सीटें और हैं, जिन पर उपचुनाव हो सकता है।
दलबदल विरोधी कानून के तहत तहत अगर मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक अवतार सिंह भड़ाना और इटावा के जसवंतनगर से विधायक शिवपाल सिंह यादव पर कार्यवाही होती है तो उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो सकती है। इसका मतलब यह है 14 सीटों पर भी उपचुनाव हो सकता है। आपको बता दें कि 2017 के विधासनभा चुनाव में भड़ाना बीजेपी के टिकट पर मीरापुर से विधायक चुने गये थे। लेकिन हाल ही में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर फरीदाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था। बावजूद अब तक विधायक हैं। इसके अलावा इटावा के जसवंतनगर से विधायक शिवपाल यादव ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। अब उन्होंने खुद की नया दल (प्रगतिशील समाजवादी पार्टी) बना लिया है।
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भाजपा की चुप्पी खड़े कर रही कई सवाल
लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए एक महीना हो चुका है, लेकिन उन्होंने नैतिकता के आधार न तो अब तक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया और न ही भारतीय जनता पार्टी ने उनके खिलाफ कार्यवाही के लिए बदल विरोधी कानून का सहारा लिया। इतना ही नहीं कांग्रेस में शामिल होने के बावजूद बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निलम्बित तक नहीं किया। ऐसा ही कुछ हाल शिवपाल सिंह यादव का है। अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने के बावजूद अब तक न तो उन्होंने ही सदस्यता छोड़ी है और न समाजवादी पार्टी ने उनके सदस्यता रद्द करने का आवेदन ही दिया है।
एमएलसी दिनेश सिंह की सदस्यता पर भी संकट
दलबदल विरोधी कानून के तहत रायबरेली के कांग्रेस एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की विधान परिषद सदस्यता छिन सकती है। उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए कांग्रेस ने विधान परिषद के सभापति के समक्ष याचिका दाखिल की है। गौरतलब है कि दिनेश प्रताप सिंह ने रायबरेली से कांग्रेस उम्मीदवार सोनिया गांधी के सामने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू का कहना है कि दिनेश प्रताप सिंह पर दलबदल विरोधी कानून लागू होता है। उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दिये बिना ही भाजपा में शामिल हो गये।
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क्या कहता है दलबदल विरोधी कानून
दलबदल विरोधी कानून कानून के तहत किसी भी दल का कोई सदस्य अगर खुद ही पार्टी का त्याग कर देता है, तो उसकी विधानमंडल या संसद की सदस्यता रद्द हो सकती है। इस आधार पर अवतार सिंह भड़ाना और दिनेश प्रताप सिंह की सदस्यता समाप्त हो सकती है। उन्होंने न केवल दल बदला, बल्कि दूसरे दलों के चिन्ह पर चुनाव भी लड़ा।
इन सीटों पर उपचुनाव तय
गोविंदनगर (कानपुर), लखनऊ कैंट, मानिकपुर (बांदा), जैदपुर (बाराबंकी), बलहा (बहराइच), प्रतापगढ़, जलालपुर (अंबेडकरनगर), हमीरपुर, रामपुर, गंगोह (सहारनपुर), इगलास (हाथरस) और टूंडला (अलीगढ़)। इन 12 सीटों पर पहले ही तय है उपचुनाव (UP Vidhan Sabha By Elections 2019)।

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