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UP Wheat Price Hike: गेहूं की पैदावार कम होने से बढ़ रहे आटे के दाम, लखनऊ मंडल में आटे के दाम आसमान पर

UP Market: लखनऊ मंडल में गेहूं की कम पैदावार के कारण आटे के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। खुदरा बाजार में आटे की कीमत ₹40 प्रति किलो तक पहुंच गई है। गेहूं की कम आपूर्ति और घटते स्टॉक के चलते यह उछाल देखा जा रहा है। सरकार की ओर से हस्तक्षेप की उम्मीद की जा रही है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Feb 15, 2025

आटे के दाम में भारी उछाल, उपभोक्ता परेशान

आटे के दाम में भारी उछाल, उपभोक्ता परेशान

UP Atta Price: गेहूं की पैदावार में कमी और आपूर्ति में गिरावट के कारण आटे की कीमतों में तेजी से इजाफा हो रहा है। लखनऊ समेत पूरे उत्तर प्रदेश में आटे के दाम नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। अक्टूबर में ₹32 प्रति किलो बिकने वाला आटा फरवरी में ₹40 प्रति किलो तक पहुंच चुका है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की कीमतों में उछाल और स्टॉक की कमी इस वृद्धि के प्रमुख कारण हैं।

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आटे के दामों में वृद्धि का आंकड़ा

माहआटे का दाम (₹ प्रति किलो)
अक्टूबर₹32
नवंबर₹33
दिसंबर₹34
फरवरी₹40

गेहूं के खुदरा दाम भी ₹30-₹32 प्रति किलो से बढ़कर ₹36 प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। वहीं, गेहूं के बीज भी 20% महंगे हो चुके हैं। मीलर्स एसोसिएशन का कहना है कि नई फसल आने तक कीमतों में और बढ़ोतरी की संभावना बनी रहेगी।

कीमतों में वृद्धि के पीछे मुख्य कारण

  • कम उत्पादन: इस बार मौसम में बदलाव के कारण गेहूं की पैदावार में गिरावट आई है।
  • कम आपूर्ति: भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा गेहूं की बिक्री कम किए जाने से बाजार में स्टॉक कम हो गया है।
  • उच्च समर्थन मूल्य: सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने से खुले बाजार में कीमतें बढ़ रही हैं।
  • बढ़ती मांग: घरेलू और औद्योगिक स्तर पर आटे की मांग में वृद्धि हुई है।
  • मजदूरी और लॉजिस्टिक्स का खर्च: बढ़ती ट्रांसपोर्ट लागत और मजदूरी दरों ने भी कीमतों में इजाफा किया है।

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लखनऊ मंडल में गेहूं और आटे के दाम पर असर

लखनऊ मंडल के विभिन्न जिलों में भी आटे की कीमतों में भारी वृद्धि देखी गई है। स्थानीय व्यापारियों के अनुसार, कई रिटेल दुकानों पर आटा ₹42 प्रति किलो तक बिक रहा है।

  • लखनऊ – ₹40 प्रति किलो
  • बाराबंकी – ₹39 प्रति किलो
  • रायबरेली – ₹38 प्रति किलो
  • हरदोई – ₹37 प्रति किलो
  • सीतापुर – ₹36 प्रति किलो

बढ़ती कीमतों से उपभोक्ता और व्यापारी दोनों परेशान

  • उपभोक्ताओं को झटका: महंगे आटे ने आम जनता की जेब पर असर डाला है। रोटी, पराठा, समोसा और पाव जैसी चीजें भी महंगी हो गई हैं।
  • व्यापारियों की मुश्किलें: खुदरा विक्रेताओं और छोटे कारोबारियों को स्टॉक की कमी और ऊंची कीमतों के कारण मुनाफे में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।
  • बेकरी और होटल उद्योग प्रभावित: बढ़ी हुई कीमतों का असर बेकरी, होटल और रेस्टोरेंट व्यवसाय पर भी पड़ रहा है।

मीलर्स एसोसिएशन और व्यापारियों की राय

मीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण गुप्ता ने कहा, "आटे की कीमतों में यह वृद्धि अस्थायी है। नई फसल आने के बाद ही कीमतों में कमी आएगी। सरकार को गेहूं की आपूर्ति को स्थिर रखने के लिए जल्द उपाय करने होंगे।"

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सरकार की संभावित कार्रवाई

  • FCI द्वारा स्टॉक रिलीज: भारतीय खाद्य निगम (FCI) जल्द ही बाजार में गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए अपने भंडार से स्टॉक रिलीज कर सकता है।
  • आयात पर विचार: सरकार जरूरत पड़ने पर गेहूं के आयात पर विचार कर सकती है, जिससे कीमतों पर लगाम लगाई जा सके।
  • सब्सिडी और राहत योजनाएं: राशन कार्ड धारकों को राहत देने के लिए सब्सिडी दर पर आटे की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।

क्या होगी आगे की स्थिति?

  • अगर मार्च-अप्रैल तक गेहूं की नई फसल अच्छी आती है, तो कीमतों में राहत मिल सकती है।
  • अगर अगले कुछ हफ्तों में सरकारी हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो आटे की कीमत ₹45 प्रति किलो तक पहुंच सकती है।
  • कम उत्पादन और बढ़ती मांग के चलते अगले साल भी कीमतें उच्च स्तर पर बनी रह सकती हैं।