
UPCOCA
लखनऊ. मंगलवार को एक बार फिर से विधानसभा में यूपीकोका का विधेयक पेश किया गया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में यह प्रस्ताव रखा, जिसके बाद यूपीकोका बिल ध्वनिमत से विधानसभा में पारित हो गया। महाराष्ट्र की तर्ज पर बने कानून यूपीकोका को लेकर योगी सरकार प्रतिबद्ध थी। सरकार इसे कानून का रूप देने की ज़िद्द पर अड़ी हुई थी। इसे ज़िद ही कहेंगे कि एक बार विधेयक के विधान परिषद से निरस्त होने के बाद पुनः सरकार ने इसे आज पेश किया।
सरकार का दावा है कि इस कानून के आने से अंडरवर्ल्ड, जबरन वसूली, जबरन कब्जे, वेश्यावृत्ति, अपहरण, फिरौती, धमकी और तस्करी जैसे संगठित अपराधों पर लगाम लेगी। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ये संगठित अपराध को रोकने के लिए ज़रूरी है। सिर्फ ज़िला और प्रदेश स्तर नही बल्कि देश स्तर की भी जरूरत है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। कई राज्यों से हमारी सीमाएं मिलती हैं। नेपाल से जुडी होने के कारण जरूरी है कि एक ऐसा कानून हो कि संगठित अपराधों को रोका जा सके।
पहले हो चुका है निरस्त
विधानमण्डल के निचले सदन में पिछली 21 दिसम्बर को यूपीकोका पारित किया गया था। यहां से बहुमत मिलने के बाद इसे विधान परिषद में पेश किया गया था लेकिन विपक्ष की आपत्तियों के बाद इसे सदन की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था। वहां से लौटाने के बाद गत 13 मार्च को सरकार द्वारा इस पर विचार का प्रस्ताव विपक्ष की एकजुटता के कारण गिर गया था। लिहाजा अब प्रक्रिया के तहत इसे फिर से विधानसभा में पेश किया जाना है। नियम अनुसार पुनः विधानसभा में विधेयक के पास होने के बाद इसे सीधा राज्यपाल रामनाईक के पास मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा।
विपक्ष कर रहा है विरोध
महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) की तर्ज पर कानून बनाने के लिये लाये गये इस विधेयक का विपक्ष कड़ा विरोध कर रहा था। विपक्ष का तर्क है कि सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों का दमन करने के लिये इसे पारित कराना चाहती है।
ये हैं सजा को प्रावधान
यूपीकोका बिल में संगठित अपराध के परिणामस्वरुप किसी की मौत होने की स्थिति में मृत्युदंड या आजीवन कारावास की व्यवस्था है। इसके साथ ही UPCOCA Bill में न्यूनतम 25 लाख रुपए के अर्थदंड का भी प्रावधान है। किसी अन्य मामले में कम से कम 7 साल के कारावास से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है और न्यूनतम 15 लाख रुपए का अर्थदंड भी प्रस्तावित है। विधेयक संगठित अपराध के मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए विशेष अदालत के गठन का भी प्रावधान करता है।
बिल की ख़ास बातें
-यूपीकोका कानून महाराष्ट्र के मकोका कानून जैसा होगा। मकोका का मकसद मुंबई जैसे शहर में अंडरवर्ल्ड के आतंक से निपटना था।
-यूपीकोका की श्रेणी में आने वाले अपराधों से निपटाने के लिए राज्य सरकार विशेष न्यायालय का गठन करेंगी। ताकि इन मामलों का निस्तारण जल्द हो सके।
-इन मामलों की जांच पहले कमिश्नर और आईजी स्तर के अधिकारी करेंगे। ताकि कानून का गलत इस्तेमाल न हो सके।
- अपराधियों की संपत्ति राज्य सरकार द्वारा जब्त की जा सकती है।
- संगठित अपराध करने वाले किसी भी अपराधी को सरकारी सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी।
Updated on:
27 Mar 2018 03:43 pm
Published on:
27 Mar 2018 01:39 pm
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