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Vandana Katariya: ‘हैट्रिक गर्ल’ वंदना कटारिया की हॉकी नहीं खो-खो थी पहली पसंद, जानें उनके बारे में सब कुछ

हॉकी की दुनिया में वंदना कटारिया (Vandana Katariya) की एंट्री कराई उनके कोच कृष्ण कुमार (Krishna Kumar) ने। 11 साल की उम्र में वंदना को उन्होंने हॉकी स्टिक थमाई और उसके बाद वंदना ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।

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लखनऊ

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Abhishek Gupta

Aug 06, 2021

Vandana Katariya

Vandana Katariya

लखनऊ. भारतीय महिला हॉकी टीम (Indian Hockey Team Women) टोक्यो ओलंपिक्स (Tokyo Olympics 2020) में ब्रॉन्ज पदक (Bronze Medal) के लिए ब्रिटेन से भिड़ी, लेकिन कांटे के मुकाबले में वह हार गई। भारतीय महिला खिलाड़ियों ने जिस जज्बे के साथ ओलंपिक में खेला और सेमीफाइनल में जगह बनाई, वह देख हर भारतीय आज गर्व महसूस कर रहा है। आखिरी मैच में हरिद्वार (Haridwar) के रोशनाबाद की रहने वाली वंदना कटारिया (Vandana Katariya) भी पीछे नहीं रहीं। उन्होंने गोल दागे और भारत की मैच में वापसी कराने का प्रयास किया। वंदना के प्रदर्शन का हर कोई कायल है। लेकिन आपको जानकर हैरान होगी की वंदना को बचपन में हॉकी नहीं बल्कि खो-खो खेलना पसंद था।

हॉकी में उनकी एंट्री कराई उनके कोच कृष्ण कुमार (Krishna Kumar) ने। 11 साल की उम्र में वंदना को उन्होंने हॉकी स्टिक थमाई और उसके बाद वंदना ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। वह गोल पर गोल करती गईं। आज कई मेडल उनके नाम हैं। वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं जिनके नाम हैट्रिक लेने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। इसलिए उन्हें 'हैट्रिक गर्ल' (Hat-trick Girl)भी कहा जाने लगा है।

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2006 में जूनियर हॉकी टीम में हुआ चयन-
वंदना का जन्म सन् 1992 में रोशनाबाद (हरिद्वार) में हुआ था। उनके पिता नाहर सिंह मास्टर टेक्नीशियन का काम करते थे। भारतीय हॉकी की टीम में वंदना फारवर्ड के रूप में खेलती है। साल 2006 में वंदना का जूनियर हॉकी टीम में चयन हुआ था। अपने दमदार प्रदर्शन से वंदना ने साल 2010 में भारतीय टीम में जगह पक्की की। 2013 में महिला हॉकी जूनियर विश्व कप में वह भारत की ओर से सर्वाधिक पांच गोल करने वाली महिला खिलाड़ी थी। इनकी मेहनत के दम पर महिला हॉकी जूनियर विश्व कप में भारत को कांस्य मेडल प्राप्त हुआ। फिर साल 2014 में उन्होंने कोरिया में हुए 17वें एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। साल 2016 तो उनके लिए और अच्छा रहा। चौथे एशियन चैंपियनशिप में वंदना ने गोल्ड मेडल जीता।

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एशियाई चैंपियन ट्रॉफी में बनीं प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट-
एशियाई चैंपियन ट्रॉफी 2018 में भी उनका जलवा कायम रहा। हालांकि भारत, कोरिया से हार गया था और उसे रजत पदक से संतुष्ट होना पड़ा था, लेकिन वंदना कटारिया अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रही थीं। उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था। कटारिया ने विश्व कप से पहले जून 2018 में स्पेन के खिलाफ हुई पांच मैचों की श्रृंखला के तीसरे मैच में अपना 200वां मैच खेला था। टोक्यो ओलम्पिक 2020 में वंदना पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी बनीं, जिन्होंने हैट्रिक स्कोर की है। वंदना कटारिया भारतीय हॉकी टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं।

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'हैट्रिक गर्ल' क्यों बुलाते हैं-

वंदना को ओलंपिक के एक मैच के बाद लोग उसे हैट्रिक गर्ल बुलाने लगे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं की टीम को सेमीफाइनल तक पहुचाने में वंदना कटारिया ने अहम रोल अदा किया है। इसमें उनका एक मैच अफ्रीका के खिलाफ था। यहां तक भारत को एक ढीलीढाली टीम समझा जा रहा था, लेकिन वंदना ने सबकी सोच बदल दी। उन्होंने अफ्रीका के खिलाफ हैट्रिक गोल किए। जो अब ओलिंपिक के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है।

पिता का सपना था बेटी लाए गोल्ड-
वंदना कटारिया के पिता नाहर सिंह का सपना था कि उनकी बेटी देश के लिए ओलंपिक गोल्ड मेडल लाए। हालांकि, दो महीने पहले ही उनका निधन हो गया। आज वह जहां भी होंगे अपनी बेटी के गर्व कर रहे होंगे।

हार के बाद जातिवादी गालियों का परिवार हुआ शिकार-

ओलंपिक के सेमीफाइनल में हार के बाद वंदना के परिवार को जातिवादी गालियों का शिकार होना पड़ा। आरोप है कि कुछ लोगों ने ओलंपिक में भारत की हार की वजह वंदना व अन्य दलित खिलाड़ियों के टीम में होने को बताया है। उन लोगों ने परिवार को गालियां भी दी है। इस पर वंदना का कहना है कि वह और उनकी साथी खिलाड़ी देश के लिए हॉली खेल रही हैं। इस तरह की जातिवादी टिप्पणियां नहीं होनी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सभी लोग भारतीय महिला हॉकी टीम को सपोर्ट करेंगे।
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