
Vikas Dubey
लखनऊ. कानपुर एनकाउंटर का मुख्य आरोपी विकास दुबे भी अंततः पुलिस मुठभेड़ में मारा गया, लेकिन इस बात की आशंका गुरुवार को ही जता दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को याचिका कर्ता घनश्याम उपाध्याय ने एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कानपुर घटना के पांच आरोपियों के एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग के साथ ही विकास दुबे की भी मुठभेड़ में हत्या की आशंका जताई थी। याचिका में विकास दुबे को कानून के अनुसार पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने की मांग भी की गई थी। इसके कुछ ही घंटों बाद शुक्रवार सुबह विकास को मार दिया गया।
पहले ही जता दी थी एनकाउंटर की संभावना-
याचिका कर्ता घनश्याम उपाध्याय ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए गुरुवार को याचिका दायर की थी। उपाध्याय ने याचिका में समाचार चैनलों की बहस का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा कि कि दुबे ने खुद को यूपी पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के डर से मध्य प्रदेश पुलिस के हवाले कर दिया। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि यूपी पुलिस की हिरासत में आने के बाद एक बार फिर विकास दुबे भी अन्य साथी-संबंधियों की तरह एनकाउंटर में मारा जाए।
पुलिस को अधिकार नहीं-
याचिका में यह भी कहा गया कि मुठभेड़ के नाम पर आरोपी को मार गिराना कानून के खिलाफ है, यह मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन है और यह देश के तालिबानीकरण से कम नहीं है। अभियुक्त या अपराधी को उसके अपराध सिद्ध होने के बाद दंडित करना, न्यायालय का काम है। दोषी साबित होने से आरोपी का मारने का अधिकार पुलिस के पास नहीं है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से विकास दुबे का घर, शॉपिंग मॉल व गाडियां तोड़ने के मामले में एफआइआर दर्ज करने के निर्देश देने की भी मांग की।
Published on:
10 Jul 2020 10:52 pm
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