
नार्थ-ईस्ट जहां भारत पैदा हुआ।
Manipur History: इन दिनों मणिपुर नागा, कूकी और मैतई संघर्ष से जूझ रहा है। देश को शर्मसार कर देने वाली घटना हुई है जिमसें महिलाओं को नंगी अवस्था में घुमाकर अपमानित किया गया है। वास्तव में नार्थ-ईस्ट मातृप्रधान समाज रहा है, जहां महिलाओं के हाथ में समाज की सत्ता रही है। मणिपुर ही नहीं पूरे नार्थ-ईस्ट से उत्तर भारत का खासकर उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक और विशेष रिश्ता रहा है। जो आज से पांच हजार साल पुराना कहा जा सकता है।
54 जनजातियां खुद को रामायण महाभारत की वंशज
नार्थ-ईस्ट की 54 जनजातियां हैं जो आज भी अपने को रामायण और महाभारत काल से जोडक़र रखती हैं। उनके गीत-संगीत, परंपराएं, भाषाएं भले ही अलग हो लेकिन उनके गीत और नृत्य में कृष्ण-रुक्मिणी-राधा की लीलाएं रहती हैं। जिसे हम मणिपुरी नृत्य कहते हैं। मिजो-मिश्मी जनजाती खुद को भगवान कृष्ण की पटरानी रुक्मिणी का वंशज मानती है। महाभारत में रुक्मिणी के पिता का नाम भीष्मक और भाई रुकमंद था।
रुकमंद आज भी यहां की एक जनजाति है। कृष्ण ने जब रुक्मिणी से विवाह किया तो भाई रुकमंद ने विरोध किया था, रुक्मिणी के कहने पर कृष्ण ने रुकमंद का अपने सुदर्शन चक्र से मुंडन कर दिया था। आज भी यह जनजाति उसी तरह का हेयर कटिंग रखती है।
तीरंदाजी में अंगूठे का प्रयोग नहीं करते
इसी तरह मेघालय में खासी-जयंतियां की आबादी कुल 13 से 14 लाख होगी। आज भी यह जनजाति तीरंदाजी में अंगूठे का प्रयोग नहीं करती। इस जनजाति के कई तीरंदाज राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धा में भी देश का मान बढ़ाए हैं। जब इस जनजाति से आप पूछते हैं कि आप अंगूठे का प्रयोग क्यों नहीं करते तो इनको सिर्फ इतना मालूम है कि हमारे पूर्वज ने गुरुदेव को अंगूठा दान कर दिया था।
नागालैंड का दीमापुर जिसे हिंडिम्बापुर कहा जाता है। भीम की पत्नी हिडिंबा यही की थी। कहा जाता है कि यहां के जंगलों-पहाड़ों में पाण्डवों ने अपना अज्ञातवास किया था। हिमाशा जनजाति आज भी खुद को हिडिम्बा का वंशज खुद को मानती है और राजबाड़ी की गोल पहाड़ी चट्टानों को मानती है कि उनका पुत्र घटोत्कच इनसे शतरंज खेलता था।
सुग्रीव को पूर्वज मानते हैं कार्बी-आबलांग
कार्बी-आबलांग जनजाति अपना पूर्वज सुग्रीव को मानती है। तो बोडो जनजाति खुद को ब्रम्हा का वंशज मानती है। म्यायार से सटा हुआ भारतीय जिला उरुखुल का असली नाम उलूपीकुल है जिसे अर्जुन की पत्नी उलूपी से माना जाता है। इतना ही नहीं मणिपुर का मैतेई समाज आज भी वहां आबादी में दस फीसद है जो कि अर्जुन के ससुराल पक्ष का मानता है और कृष्ण को अपना दामाद मानता है।
अर्जुन की पत्नी चित्रांगदा मणिपुर की थी। महाभारत में भी अर्जुन और कृष्ण का संबंध फूफेरे भाई का है। वैष्णव पूजक मैतेई अब मणिपुर में अल्पसंख्यक हो चुके हैं और ज्यादातर नागा और कूकी समुदाय के लोगों ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है। पूरा पूर्वोत्तर चर्च के पंजे में छटपटा रहा है। संघर्ष का एक कारण यह भी है।
Published on:
24 Jul 2023 01:27 pm
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