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जहां-जहां पड़े श्रीराम के पग, वहाँ बनेगा राम वनगमन पथ, क्या है यह पथ जानिए सब कुछ

Ram Van Gaman Path: भगवान श्रीराम की वनगमन यात्रा राम जन्मभूमि अयोध्या से शुरू होकर प्रतापगढ़, प्रयागराज, कौशांबी होते हुए चित्रकूट तक गई थी। इसी पथ को ही राम वनगमन मार्ग कहा जाता है। इसकी लंबाई करीब 177 किलोमीटर है। राम वनगमन मार्ग को पूरी तरह से तैयार करने में 3500 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

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What is Ram Van Gaman Path

What is Ram Van Gaman Path

Ram Van Gaman Path: अयोध्या से वन गमन को चले भगवान श्रीराम के पग जहां-जहां पड़े थे, अब वहां राम वन गमन पथ बनाया जाएगा। राम वन गम पथ बनाने की तैयारी पूरी हो गई है। छह चरणों में 177 किलोमीटर का फोरलेन राम वन गमन पथ का निर्माण किया जाना है। इस पर 4319 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस पथ के बनने से भगवान राम से जुड़े 37 स्थलों का विकास होगा और रामभक्तों को वहां तक पहुंचना आसान होगा। अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण की शुरुआत होने के बाद ही राम वन गमन पथ पर काम शुरू हो गया है।

उत्तर प्रदेश के वनगमन स्थल

अयोध्या से 20 किमी दूर महादेवा घाट से दराबगंज तक वन-गमन यात्रा का 35 किलोमीटर। पहला पड़ाव रामचौरा यहां राम ने रात्रि विश्राम किया था। यूपी सरकार ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है।

गोमती नदी पार कर प्रयागराज (इलाहाबाद) से 20-22 किमी श्रृंगवेरपुर। निषादराज गुह का राज्य। श्रृंगवेरपुर को अब सिंगरौर कहते हैं।

इलाहाबाद सिंगरौर के निकट गंगा उस पार कुरई नामक स्थान है। यहां एक मंदिर है जिसमें राम, लक्ष्मण और सीताजी ने कुछ देर विश्राम किया।

कुरई से आगे राम प्रयाग पहुंचे थे। संगम के समीप यमुना नदी पार कर यहां से चित्रकूट पहुंचे। यहां वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरतकूप आदि हैं।

चित्रकूट में श्रीराम के दुर्लभ प्रमाण हैं। यहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचे थे। यहीं से वह राम की चरण पादुका लेकर लौटे। यहां राम साढ़े ग्यारह साल रहे। इसके बाद सतना, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, विदिशा के वन क्षेत्रों से होते हुए वह दंडकारण्य चले गये।

कहां है दंडकारण्य?

रामायण के मुताबिक भगवान राम ने वनवास का वक्त दंडकारण्य में बिताया। छत्तीसगढ़ का बड़ा हिस्सा ही प्राचीन समय का दंडकारण्य माना जाता है। अब उन जगहों को नई सुविधाओं के साथ विकसित किया जा रहा है, जिन्हें लेकर यह दावा किया जाता है कि वनवास के वक्त भगवान यहीं रहे।

यहां से गुजरेगा राम गमन पथ मार्ग

श्रीराम की वनगमन यात्रा राम जन्मभूमि अयोध्या से शुरू होकर प्रतापगढ़, प्रयागराज, कौशांबी होते हुए चित्रकूट तक गई थी। इसी पथ को ही राम वनगमन मार्ग कहा जाता है। इसकी लंबाई करीब 177 किलोमीटर है। राम वनगमन मार्ग को पूरी तरह से तैयार करने में 3500 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

पंचकोसी, 14 कोसी और 84 कोसी परिक्रमा मार्ग

जहाँ एक तरफ राम वनगमन पथ का निर्माण हो रहा है वहीं राम नगरी अयोध्या में के तीनों परिक्रमा मार्ग का भी विकास किया जा रहा है। आइये जानते हैं कौन से हैं ये तीनों परिक्रमा मार्ग और कैसे हो रहा है इनका विकास -

मौजूदा समय में यह परिक्रमा मार्ग करीब 233 किमी लंबा है। जो अयोध्या, अंबेडकरनगर, गोण्डा, बाराबंकी और बस्ती से गुजरता है। मगर नया बनने के बाद इस परिक्रमा मार्ग की लंबाई 275 किलोमीटर की हो जाएगी। इस मार्ग से पौराणिक महत्व के 51 तीर्थ स्थल जोड़े जाएंगे।

45 किमी लंबे 14 कोसी परिक्रमा मार्ग को 183 करोड़ के साथ का डीपीआर तैयार किया गया है। इस मार्ग पर पौराणिक महत्व के कुंड और धार्मिक स्थल हैं। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को अयोध्या में परिक्रमा होती है।

पंचकोसी परिक्रमा के लिए 15 किमी लंबे रास्ते की चौड़ाई भी बढ़ाई जा रही है। जानकारी के मुताबिक 90 करोड़ की लागत से यहां सुविधाओं को और बेहतर बनाया जाएगा।