
Wheat Price Hike in India Now Bread more Costly for Public
पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने-पीने की वस्तुओं में मंहगाई बढ़ गई है। देशभर में बढ़ती महंगाई के बीच गेहूं की कीमतों में आ रहा उछाल आने वाले महीनों में मुश्किलें बढ़ा सकता है। गेहूं की कीमतों में आ रही तेजी की एक बड़ी वजह रूस-यूक्रेन संकट के चलते ग्लोबल सप्लाई बाधित होना। दूसरा इसके चलते भारत से एक्सपोर्ट डिमांड बढ़ना है। हालांकि सरकार ने फिलहाल गेहूं के निर्यात में रोक लगा दी है।
खरीदारी सीजन में किसान मंडियो में ज्यादा भाव के चलते MSP पर हो रही सरकारी खरीद केंद्रों में बेचने से बच रहे हैं। गेहूं खरीद के शुरुआती 20 दिनों के आंकड़े की बात की जाए, तो गेहूं की सरकारी खरीद 27 फीसदी घटी है। इंडस्ट्री का कहना है कि गेहूं के दाम बढ़े हैं। अभी कम डिमांड का सीजन है। इसलिए ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। आने वाले दिनों में कीमतों में भारी बदलाव दिखेगा। इसका असर आपकी रोटियों से लेकर ब्रेड, बिस्किट कर देखने को मिलेगा।
रूस-यूक्रेन से नहीं हो रही सप्लाई
जियो पॉलिटिकल टेंशन के चलते यूक्रेन-रूस से सप्लाई नहीं हो रही है। इसके चलते भारतीय एक्सपोर्ट की डिमांड बढ़ गई है। विदेशी बाजारों में भाव तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका फायदा घरेलू किसानों को मिल रहा है। सरकारी खरीद की बात करें, तो 20 अप्रैल तक मध्य प्रदेश में 22 लाख टन, यूपी में 0.51 लाख टन, हरियाणा में 32 लाख टन और पंजाब में 55 लाख टन की खरीद हुई है। सरकार ने फिलहाल के लिए बाहर गेहूं भेजना बंद कर दिया तो कीमतें स्थिर हैं।
किसान को मंडियों में मिल रहा अच्छा भाव
सरकार का इस साल 444 लाख टन खरीद का लक्ष्य है। सरकारी खरीद अभी तक 150 लाख टन रही है जो पिछले साल इस दौरान 135 लाख टन थी। सरकार ने इस सीजन के लिए 2015 रुपये प्रति क्विंटल MSP तय किया है। मध्य प्रदेश में किसानों को 2020-2220 रुपये प्रति क्विंटल और उत्तर प्रदेश में 2020-2117 का भाव मंडियों में मिल रहा है। मंडियों में ITC समेत गेहूं के एक्सपोर्ट सक्रिय हैं। सीजन की शुरुआत में MSP से अच्छे भाव के चलते किसान अपनी फसल से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश और गुजरात के किसानों को MSP से 10 फीसदी ज्यादा भाव मिल रहा है। वहीं, पंजाब, हरियाणा में किसानों को 5 फीसदी ज्यादा मिल रहा है। फिलहाल अभी कीमतें स्थिर हैं।
सरकारी राशन दुकान पर नहीं पड़ेगा असर
जानकारों के मुताबिक अगर आगे कीमतें बढ़ती हैं, तो सरकार के लिए टारगेट आडिंयस पर इसका असर नहीं होगा, सरकार के पास पर्याप्त बफर स्टॉक है। इसलिए वो सरकारी राशन दुकान या अन्य स्कीमों पर असर नहीं होगा। सरकार के पास अभी 1.90 करोड़ टन का बफर स्टॉक है। जबकि, मानकों के मुताबिक 74 करोड़ टन जरूरत है।
Updated on:
16 May 2022 01:52 pm
Published on:
16 May 2022 01:46 pm
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