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विश्व टीबी दिवस 2022 : प्रदेश में डेढ़ लाख से अधिक टीबी के मरीज, जानें क्यों मनाते हैं टीबी दिवस

विश्व टीबी दिवस (World Tuberculosis Day) हर साल 24 मार्च को मनाते हैं। प्रदेश में अभी भी डेढ़ लाख से अधिक टीबी के मरीज है। सरकार द्वारा इलाज और जागरूकता के लिए चलाई जा रही योजनाओ और अभियान की जानकारी खबर में दी गई है।

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लखनऊ

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Snigdha Singh

Mar 24, 2022

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world TB day

टीबी से जंग में न केवल देश बल्कि दुनिया को धीरे-धीरे सफलता प्राप्त कर रहा है। टीबी से बचाव और इलाज के लिए निक्षय जैसी योजनाओं से मरीजों की मदद की जा रही है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर जिले में कम से कम एक नाट मशीन लगाने का प्रयास भी जारी है। विश्व टीबी दिवस पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।

उत्तर प्रदेश के हर जिले में जिला अस्पताल की टीम के द्वारा टीबी मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत प्रदेशभर में वर्ष 2021 में टीबी के करीब एक लाख 50 हजार मरीज चिन्हित भी किए गए थे। डॉक्टरों के अनुसार टीबी बेहद ही खतरनाक बीमारी मानी जाती है। इस बीमारी से पूरी दुनिया में एक दिन में करीब 4000 से ज्यादा लोगों की मौत होती है। टीबी के लक्षण होते है ज्यादा दिन तक खांसी आना या फिर मुंह या नाक से खून आने पर टीबी की जांच करा लेनी चाहिए। बुखार, चेस्ट में जकड़न जैसी समस्याएं होती हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बीड़ी सिगरेट जैसे धूम्रपान से भी लोग टीबी का शिकार हो रहे हैं।

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प्रदेश में क्या है टीबी की स्थिति

स्वास्थ्य विभाग अधिकारी डॉ विनोद गर्ग ने बताया कि वर्ष 2021 में प्रदेश भर में करीब 1 लाख 50 हजार लोगों को चिन्हित किया गया था। प्रदेश में 130 नाट (न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट) मशीनें उपलब्ध हैं। अब के समय हर जिले के जिला अस्पताल में एक मशीन उपलब्ध कराने के प्रयास है। वहीं, निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी संक्रमित मरीजों को 500 प्रतिमाह सहायता राशि भी दी जा रही है।

टीबी दिवस की थीम

डब्ल्यूएचओ के द्वारा इस साल ‘विश्व टीबी दिवस 2022’ की थीम ‘टीबी को खत्म करने के लिए निवेश करें…जीवन बचाए’ (Invest to End TB, Save Lives) रखी गई। इसका उद्देश्य है कि डब्ल्यूएचओ तपेदिक (टीबी) के खिलाफ लड़ाई में संसाधनों, सहायता, देखभाल और सूचना के तत्काल निवेश के लिए अपील करता है।

इसलिए मनाते हैं टीबी दिवस

वर्ष 1882 में 24 मार्च को जर्मन माइक्रोबायोलॉजिस्ट रॉबर्ट कॉच ने टीबी के बैक्टीरियम यानी जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्युबरक्लोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) की खोज की थी। इनकी इस खोज की मदद से ही टीबी का इलाज और अन्य शोध संभव हो पाए। इनके इस योगदान के लिए वर्ष 1905 में नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया। इसलिए हर वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) टीबी के सामाजिक, आर्थिक और सेहत को ध्यान में रखते हुए टीबी दिवस मनाता है।