
File Photo of Removal Deputy Cm Dinesh sharma
उत्तर प्रदेश में आज योगी आदित्यनाथ सरकार का दूसरा दौर शुरू हो चुका है। इस बार डिप्टी सीएम के तौर पर केशव मौर्य, बृजेश पाठक को चुना गया है। वहीं 18 कैबिनेट मंत्री, 20 राज्य मंत्री भी बनाए गए हैं। इस बार योगी आदित्यनाथ की नापसंद और कार्यशैली को लेकर लगातार सुर्खियों में बनें रहे डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा समेत आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे मंत्री हैं जो अपनी सीट जीतकर आए हैं फिर भी इन्हें इनकी कार्यशैली और क्षेत्र में लोगों के प्रति उचित व्यवहार न करने की वजह बाहर कर दिया गया है। हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे नाम जिन्हें इस बार मंत्रीमण्डल से बाहर कर कर दिया गया है।
डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा का कार्यकर्ताओं के प्रति रूखे व्यवहार, अनिर्णय की स्थिति से नुकसान
लखनऊ नगर निगम में मेयर पद से राजनीति शुरू करने वाले डॉ दिनेश शर्मा भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे हैं। साल 2017 में इन्हे बिना चुनाव लड़ाए ही डिप्टी सीएम बना दिया गया था। जिसके बाद ही इन्हें एमएलसी बनाकर विधायक बनाया गया क्योंकि बिना विधायक बनें मंत्री पद पर नहीं रह सकते। डिप्टी सीएम जैसे पद पर रहने के बाद भी इनकी कार्यशैली कार्यकर्ताओं के प्रति ठीक नहीं रही। शिक्षा विभाग जैसा बड़ा महत्वपूर्ण विभाग पाने के बावजूद बड़े निर्णय करने से बचते रहे। वहीं सूत्रों के मुताबिक सबसे महत्वपूर्ण जब हर मंत्री चुनाव लड़ेगा जैसी बात कही गई तो इन्होने खुद को चुनाव न लड़ने की बात कही। हर रिपोर्ट के आधार पर इस बार इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया है।
नीलकंठ तिवारी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार
प्रधानमंत्री के सांसदीय क्षेत्र वाराणसी जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर इनका रूखा रवैया क्षेत्र में लोगों की नाराजगी को खुद पीएम मोदी ने भी प्रचार के दौरान महसूस किया था। यही कारण है कि इन्हें इस बार बाहर का रास्ता दिखाया गया है।
सतीश कुमार महाना कैबिनेट मंत्री
सतीश कुमार महाना साल 2017 में मंत्री बनते ही जनता से दूर हो गए थे। क्षेत्र में बढ़ती लोगों की नाराजगी की वजह से भी इनका मंत्री पद से पत्ता कटने का प्रमुख कारण रहा। वहीं इनके विभाग की गोपनीय रिपोर्ट ने भी योगी आदित्यनाथ को परेशान किया। जिसके चलते इस बार ये बाहर बैठे है।
जय प्रताप सिंह कैबिनेट मंत्री
मंत्री बनने के बाद जय प्रताप सिंह की विभागीय अनियमितताओं से मुख्यमंत्री को काफी परेशान किया। साथ ही कार्यकर्ताओं और जनता के प्रति सकारात्मक रवैया नहीं होने से भी इनका काफी नुकसान हुआ है।
श्रीकांत शर्मा कैबिनेट मंत्री
जनता से सीधे जुड़े विभाग में इनके लिए गए गलत फैसले से गाँव गाँव लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी ज्यादा बढ़ी। किसानों, घरेलू और व्यापारिक बिजली बिलों से सभी परेशान रहे। साथ ही बची हुई कसर अधिकारियों के मनमानी ट्रांसफर पोस्टिंग और स्मार्ट मीटर ने पूरी कर दी। जिसको लेकर इस बार बाहर हैं।
सिद्धार्थनाथ सिंह कैबिनेट
कार्यकर्ताओं के प्रति रूखापन, क्षेत्र से कटे रहना और विभागीय कामों की धीमी रफ्तार से सरकार नाखुश रही। इसीलिए इनके पास से स्वस्थ्य विभाग जैसा महतवपूर्ण विभाग छीन लिया गया था। लेकिन दूसरे विभाग को लेकर व्यापारियों ने भी काफी शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंचाई।
आशुतोष टंडन कैबिनेट
कार्यकर्ताओं को लेकर रुखापान संगठन को सपोर्ट न करना, विभाग में अनियमतता इनके बाहर जानें की सबसे बड़ी वजह बनी।
राम नरेश अग्निहोत्री कैबिनेट मंत्री
संगठन को सहयोग न करना और विभाग में अधिकारियों की ट्रान्सफर पोस्टिंग से योगी आदित्यनाथ काफी नाराज रहे। इसी वजह से इनको बाहर किया गया है।
महेंद्र सिंह कैबिनेट मंत्री
साल 2017 में बनने के बाद से विभागीय कार्यों में अनियमितता की गोपनीय रिपोर्ट लगातार मिलने से इन्हे बाहर का रास्ता दिखाया गया है।
इनके अलावा कुछ ऐसे भी मंत्री रहे जिनकी रिपोर्ट संगठन की ओर से दी गई थी जिसके आधार पर इन्हें बाहर किया गया है।
मोहसिन रजा
रमापति शास्त्री
अतुल गर्ग
अशोक कटारिया
श्रीराम चौहान
जय कुमार जैकी
अनिल शर्मा
सुरेश पासी
चौधरी उदय भान सिंह
रामशंकर सिंह पटेल
नीलिमा कटियार
महेश गुप्ता
जी एस धर्मेश
Updated on:
26 Mar 2022 07:10 am
Published on:
25 Mar 2022 04:55 pm
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