
जिंदगी में संघर्ष से भाग जाना तो कायरता है, चुनौतियों से जूझना, लडऩा और जीतकर ही हम जिंदगी में रोमांच पैदा करते हैं।
UP News: उत्तर प्रदेश में युवा छोटी-छोटी बातों पर ही मौत को गले लगा रहे हैं। जिंदगी में संघर्ष से भाग जाना तो कायरता है, चुनौतियों से जूझना, लडऩा और जीतकर ही हम जिंदगी में रोमांच पैदा करते हैं। लेकिन राजधानी प्रदेश के बड़े शहरों में युवा जिंदगी की जंग हार रहे हैं। वे लगातार आत्महत्या कर रहे हैं और संघर्ष की जगह जिंदगी से पलायन का रास्ता चुन रहे हैं।
एनसीआरबी के आंकड़े डराते हैं, इन आंकड़ों से पता चलता है कि कानपुर के बाद लखनऊ के युवा मौत को लगाने में सबसे आगे हैं।युवा ही नहीं, आत्महत्या के मामले 12 साल से लेकर 80 साल के बुजुर्गो के बीच देखा जा रहा है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी तादात युवाओं की है जो अपनी जान के दुश्मन बने हुए हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक लखनऊ में साल 2022 में 361 लोगों ने आत्महत्या किया। यह आंकड़ा डराता है, इसका मतलब है कि करीब रोजाना ही एक आत्महत्या की बुरी खबर मिलती रही है।
पुरुषों की तुलना में महिलाएं हैं मजबूत
एक मेडिकल पत्रिका में छपी रिर्पोट के अनुसार कहने के लिए महिलाएं अधिक भावुक होती है लेकिन आश्चर्यजनक रुप से हालात से लडऩे में वह पुरुषों से अधिक मजबूत साबित हो रही हैं। महिलाओं की आत्महत्या मामले से लगभग दोगुनी तादात पुरुषों की है जो जिंदगी खत्म कर रहे हैं। आत्महत्या करने के महिलाओं के मामले में भी युवतियों की संख्या ही अधिक पाई गई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार ताज नगरी आगरा में एक साल में सुसाइड के मामले तीन गुना बढ़े हैं।
यूपी में आत्महत्या का डरावना सच
पिछले एक साल में यूपी में 1631 गृहणियों ने मौत को गले लगा लिया। बेरोजगार 1541, छात्र 1060, स्वरोजगार वाले 1011, वेतनभोगी 708, व्यवसाय करने वाले 653, दिहाड़ी करने वाले 490, इसके अलावा 413 अन्य तरह के लोगों ने अपनी जिंदगी की डोर खुद ही काट लिया है।
प्रदेश के चार शहरों का हाल
कानपुर साल 2021 में 372 आत्महत्या, साल 2022 में 438
लखनऊ साल 2021 में 304 और साल 2022 में 362
आगरा साल 2021 में 99 और साल 2022 में 298
गाजियाबाद साल 2021 में 64, साल 2022 में 157 आत्महत्याएं
क्यों करते हैं जिंदगी खत्म
-दहेज के लिए प्रताडि़त करने या वैवाहिक मामलों में -इंतहान या प्रतियोगी परीक्षा में फेल होने पर
-शादी के कई साल बाद तक बच्चा न होने पर -अपमानित होने पर
-कर्ज के कारण -नशे के कारण
-आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के कारणकिंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के
मनोवैज्ञानिक डॉ आदर्श त्रिपाठी कहते हैंआधुनिक समय में परिवार बिखर रहे हैं। एकल परिवार की अवधारणा खतरनाक है। समूह में लोगों का संबल मिलता है और प्राकृतिक रुप से काउंसिलिंग भी होती रहती है। आज युवावर्ग खुद को अकेला पाकर असहाय महसूस करता है और खुदकुशी जैसा खतरनाक कदम उठा लेता है।
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Updated on:
16 Dec 2023 05:11 pm
Published on:
16 Dec 2023 12:31 pm
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