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….जब जीनत अमान को भा गयी नवाबों के शहर की तहज़ीब

लखनऊ फिल्म क्लब द्वारा आयोजित Lost Film Music Tribute to Pre Independence Singing Divas में ज़ीनत अमान ने शिरकत की।

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zeenat aman

लखनऊ. राजधानी लखनऊ की रंगीन शाम और हसीन बन गयी, जब मशहूर और खूबसूरत अभिनेत्री जीनत अमान ने एक कार्यक्रम में यहां शिरकत की। लखनऊ फिल्म क्लब द्वारा आयोजित Lost Film Music Tribute to Pre Independence Singing Divas में ज़ीनत अमान ने शिरकत की। इस कार्यक्रम में नाच, गाना और ह्यूमर का भरपूर डोज था।

लखनऊ में आने की खुशी

अभिनेत्री जीनत अमान ने इस कार्यक्रम में कहा कि मुझे खुशी है मैं लखनऊ में हूं। यह नवाबों, शायरी, साहित्य, खान-पान, और तहज़ीब का शहर है। गोमती के किनारे बसी, लखनऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब पूरे हिंदुस्तान में मशहूर है। मैं लखनऊ फिल्म क्लब की संस्थापक प्रगती शर्मा को धन्यवाद देना चाहूंगी कि उन्होंने इस कार्यक्रम में मुझे बुलाया। ऐसे कार्यक्रम जहां पर प्रमुख हस्तियां- जद्दन बाई, जानकी बाई, वहीदन बाई, रसूलन बाई, और लखनऊ की बेगम अख्तर साहिबा की कहानी कथक, बैले और सनसनीखेज़ वृतान्त के साथ सुनायी जाये, कहां देखने को मिलते हैं।

जीनत आगे कहती हैं, मैं लखनऊ के मशहूर इतिहासकार-लेखक अमरेश मिश्र, जिन्होंने इस कार्यक्रम को डिज़ाइन किया है, उनके सहित्य और संस्कृति की सेवा में किये काम से हतप्रभ हूं। मैने अमरेश की लिखी फिल्म 'बुलेट राजा', जो लखनऊ और उत्तर प्रदेश के पृष्ठभूमी पर बनायी गई है, देखी है। बुलेट राजा में अमरेश का लिखा डायलोग 'ब्राहमण भूका तो सुदामा, चमका तो चाणक्य, और रूठा तो रावण', मुझे बहुत पसन्द है। मैं महिला सशक्तिकरण में विश्वास रखती हूं। आज के भारत में ऐसी महिलाओं की कहानियां बताना ज़रूरी है- जो बिना इंग्लिश एजुकेशन के, मेहनतकश परिवेश से उभर कर, अपनी जगह बनाने में सफल हुईं। लखनऊ का सिनेमा में योगदान अभूतपूर्व है। मुगल-ए-आज़म, मदर इंडिया, गंगा-जमुना, मुझे जीने दो, दीवार और शोले जैसी फिल्में लखनऊ के लेखकों ने लिखी। नौशाद साहब का अमर संगीत, रेहाना और बीना राय जैसे बोलिवुड स्टारज़ लखनऊ से निकले। मैने भी लखनऊ की पृष्ठभूमि पर बनी कई फिल्मे, जैसे ''चौदवींं का चाँद, महबूब की मेहंदी, पाकीजा, पाल्की, बहू बेगम, मेरे हुज़ूर'' देखीं हैं।