
अगर आप भी नेशनल हाईवे -53 में करते हैं सफर तो हो जाये सावधान, अब तक 104 गवां चुके हैं अपनी जान
महासमुंद. छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-53 फोरलेन पर सफर जानलेवा साबित हो रहा है। पिछले छह महीने में घोड़ारी से सरायपाली तक 227 घटनाओं में 104 मौतें हो चुकी हैं। 187 लोग घायल भी हुए हैं। अधिकतर दुर्घटनाएं अनियंत्रित ड्राइविंग और रफ्तार की वजह से हो रही हैं।
सालभर पहले हुए सर्वे में फोरलेन पर घोड़ारी से सरायपाली तक 31 ब्लैक स्पॉट चिह्नांकित किए गए थे। इन स्थानों पर दुर्घटनाओं में लगातार मौतें हो रही हैं। ऐसे स्पॉटों पर सुधार की आवश्यकता है। इसके लिए एनएचई को रिपोर्ट भेजी गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। हादसों के आंकड़ों पर गौर करें तो पूरा फोरलेन ही ब्लैक स्पॉट-सा बनता जा रहा है।
फोरलेन पर लाइट सिस्टम ठप हो गया है। डिवाइडर पर खंभों में लगी लाइट कहीं जलती हैं, कहीं नहीं। अंधेरा होने की वजह से दूर तक स्पष्ट दिखाई नहीं पड़ता और अचानक कोई मवेशी या सड़क पार करता आदमी नजर आने पर तेज रफ्तार वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। कई जगह मिडियम ओपनिंग पर भी हाईमास्क लाइट और सिग्नल की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं तेज रफ्तार ट्रक डिवाइडर पर चढ़ जाते हैं या उससे पलटकर दूसरी लेन में भी पहुंच जाते हैं। ज्ञात हो कि २२ फरवरी को रेल एवं यातायात एडीजी टीजे लांगकुमेर ने महासमुंद की मुख्य सड़कों का निरीक्षण किया था। उन्होंने जरूरी दिशा-निर्देश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने भी सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को सड़कों पर खतरनाक स्पॉट की पहचान करना और सड़कों के डिजायन को दुरुस्त करने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। वहीं हर जिले में एक ट्रामा सेंटर खोलने, यूनिवर्सल एक्सीडेंट हेल्पलाइन नंबर जारी करने के निर्देश दिए हैं। सड़क सुरक्षा को स्कूल के पाठ्यक्रम में भी शामिल करने की योजना थी, लेकिन इस पर पहल नहीं हुई। हादसों में कमी लाने के लिए भी एनएचआई और यातायात विभाग की कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन इसका असर दिखाई नहीं दे रहा है। शहर में नो इंट्री में भारी वाहनों के प्रवेश से दुर्घटना का खतरा बढ़ता जा रहा है।
दुपहिया वाहन चालक सड़क पर होने वाले हादसों से सबक नहीं ले रहे हैं। पुलिस ने सुरक्षित सफर के लिए जागरुकता अभियान भी चलाया था। रैली निकालकर लोगों को हेलमेट के उपयोग के लिए जागरूक भी किया। फिर भी दुपहिया चालक बाज नहीं आ रहे हैं। अक्सर दुर्घटना में घायल लोगों के सिर पर चोट लगने की वजह से मौत हो जाती है। यदि वाहन चालक जागरुकता दिखाते हुए हेलमेट का उपयोग करें, तो सिर पर गंभीर चोट नहीं लगेगी, उनकी जान भी बच सकती है। लेकिन, पुलिस की सख्ती और समझाइश का असर दुपहिया वाहन चालकों पर दिखाई नहीं दे रहा है।
30 जून को तेज रफ्तार इनोवा ने लखनपुर मोड़ के पास मोटरसाइकिल सवार एक ग्रामीण को टक्कर मार दी। पुलिस के मुताबिक ग्रामीण झलप से अपने घर जा रहा था। इलाज के दौरान बाइक चालक की मौत हो गई।
4 जुलाई को अग्रसेन चौक पर सरायपाली से रायपुर की ओर जा रहे ट्रक ने विपरीत दिशा से आ रहे ट्रक ने ठोकर मार दी। इसमें ट्रक ड्राइवर बाल-बाल बच गया। वहीं तेज रफ्तार से ट्रक को टक्कर मारने वाला ड्राइवर फरार हो गया।
30 जून को बसना के भस्करा नाला के पास दो बाइक सवारों में भिड़ंत हो गई। एक बाइक गलत दिशा से आ रही थी। दोनों बाइक की टक्कर से एक की मौत हो गई।
महासमुंद के यातायात शाखा के डीएसप, एसआर धृतलहरे ने बताया वाहन दुर्घटनाओं को कम करने के लिए जागरुकता शिविर लगाए जाते हैं। समय समय पर स्कूल में जाकर विद्यार्थियों को टै्रफिक नियमों के पालन करने के संबंध में जानकारी दी जाती है। सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं गलत दिशा से आने वाले वाहनों से होती है। लोग शार्टकट के चक्कर में अपनी और दूसरों की जान को जोखिम में डाल रहे हैं। लोगों में जागरुकता की कमी है।
Published on:
06 Jul 2018 01:21 pm
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