
शिशुपाल पर्वत को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग ( Photo - Patrika )
CG Tourism: महासमुंद जिले के सरायपाली तहसील क्षेत्र में स्थित शिशुपाल पर्वत अपने ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण लगातार चर्चाओं में बना हुआ है। ( CG News ) बरसात के मौसम में यह पर्वत हरियाली की चादर ओढ़ लेता है और इसका दृश्य आसपास के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
शिशुपाल पर्वत प्राचीन काल में फुलझर राज्य का अभेद्य किला रहा है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार यह भैना राजवंश की शरण स्थली भी था। कहा जाता है कि इस किले को भेदने के बाद ही गोंडवाना राजवंश की स्थापना संभव हो पाई थी। स्थानीय निवासी शुक्लध्वज सिंह टेकाम ने हाल ही में मुयमंत्री विष्णुदेव साय के दुर्गापाली प्रवास के दौरान तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस पर्वत को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग रखी है।
उनका कहना है कि इतनी जटिल और अभेद्य थी कि इसकी तुलना महाभारत काल के चक्रव्यूह से की जा सकती है। टेकाम ने बताया कि महाभारत में गुरु द्रोणाचार्य ने बारहवें दिन पांडवों को हराने के लिए जिस चक्रव्यूह की रचना की थी, उसे तोड़ना केवल अर्जुन जैसे महारथी के ही सामर्थ्य की बात थी। इसी प्रकार शिशुपाल किला भी इतना कठिन था कि इसे जीतना किसी भी राज्य के लिए लगभग असंभव था। किले तक पहुंचने का एकमात्र मार्ग पुजारीपाली की ओर से था, जहां सैनिक घात लगाकर पहरा देते थे। यह स्थल शोधकर्ताओं के लिए रहस्यमयी पहेली बना हुआ है।
पर्वत की तलहटी पर स्थित घोड़ाधार जलप्रपात रोमांच और रोमांस का अनोखा संगम प्रस्तुत करता है। यही कारण है कि हर रविवार को सैकड़ों लोग इस पर्वत की चढ़ाई के लिए यहां पहुंचते हैं और प्रकृति के बीच समय बिताते हैं। यदि सरकार इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे, तो न केवल इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षण मिलेगा बल्कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी नया बल मिलेगा। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और सरायपाली का नाम पर्यटन मानचित्र पर उभरकर सामने आएगा। इतिहास, रहस्य और प्राकृतिक सुंदरता का संगम शिशुपाल पर्वत आज भी अपने विकास की राह देख रहा है। पहचान मिलने से विदेशी पर्यटक भी पहुंच सकते हैं।
प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में टेकाम ने यह भी सुझाव दिया है कि कुरुक्षेत्र में एक कृत्रिम चक्रव्यूह का निर्माण किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियां महाभारत काल की इस अद्वितीय युद्धकला को प्रत्यक्ष रूप में समझ और अनुभव कर सकें। शिशुपाल पर्वत ऐतिहासिक महत्व तक सीमित नहीं है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य भी पर्यटकों को खींच लाता है।
Published on:
24 Aug 2025 01:58 pm
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