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खुशखबरी : अब बिना पटवारी के चक्कर काटे आप बदल सकते है घर के मालिक का नाम, ये होगी प्रक्रिया

अब जमीन मालिकों को ई-रजिस्ट्री के बाद नामांतरण कराने के लिए पटवारियों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि

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खुशखबरी : अब बिना पटवारी के चक्कर काटे आप बदल सकते है घर के मालिक का नाम, ये होगी प्रक्रिया

महासमुंद. अब जमीन मालिकों को ई-रजिस्ट्री के बाद नामांतरण कराने के लिए पटवारियों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि पंजीयन विभाग ने जमीन की खरीदी-बिक्री रोकने के लिए सॉफ्टवेयर में बदलाव किया है। अब जमीन की ई-रजिस्ट्री होने के बाद नामांतरण की प्रक्रिया के लिए सीधे पटवारी की आईडी में संपूर्ण दस्तावेज स्थानांतरण हो जाएंगे। इसकी जानकारी भी क्रेता व विक्रेता को एसएमएस के माध्यम से मिल जाएगी।

ई-रजिस्ट्री के बाद अब आगे होने वाली नामांतरण प्रक्रिया के लिए भी विभाग ने सॉफ्टवेयर में बदलाव किया है। इस सॉफ्टेवयर के आने के बाद अब जमीन फर्जी खरीद-फरोख्त में अंकुश लगेगा। पंजीयक कार्यालय के कम्प्यूटरों मेें सॉफ्टवेयर अपलोड करने की प्रक्रिया चल रही है।

इसके बाद इसकी जानकारी भुइयां कार्यक्रम के आइडी में चली जाएगी। पटवारी नामांतरण दर्जकर सारे दस्तावेजों की जांचकर डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से दुरुस्त करेगा। नामांतरण नंबर के आधार पर दर्ज होगा। इससे पटवारी पहली रजिस्ट्री को छोड़कर दूसरे नंबर की रजिस्ट्री वालों का नामांतरण नहीं कर सकेगा।

वहीं ई-रजिस्ट्री तभी होगी, जब जमीन का रिकार्ड साफ-सुथरा होगा। मेनुअल में एक नाम पर अलग-अलग खसरा या बटांकन वाली जमीन की खरीदी-बिक्री हो जाती थी। अब में ई-रजिस्ट्री में सॉफ्टवेयर अपलोड होने के बाद एक नाम पर अलग-अलग खसरा नंबर या बटांकन वाली जमीन की एक साथ रजिस्ट्री नहीं हो सकती। ऐसी रजिस्ट्री के लिए सॉफ्टेवयर काम नहीं करेगा।

बता दें कि पिछले वर्ष लक्ष्य के मुताबिक जमीनों की रजिस्ट्री 46 फीसदी कम हुई है। जिला पंजीयक विभाग को 22 करोड़ रुपए का लक्ष्य मिला था, लेकिन 31 मार्च तक यह आंकड़ा सिर्फ 14 करोड़ तक पहुंचा। इस वर्ष भी विभाग को करोड़ों का लक्ष्य मिला है। अभी सॉफ्टवेयर अपलोड होने के कारण रजिस्ट्री कम हो रही है। पिछले समय हुई रजिस्ट्री का भी नामांतरण का कार्य जारी है। केस तहसील कार्यालय में पेंडिंग पड़े हैं।

नामांतरण के पहले 15 दिनों तक दावा-आपत्ति का समय रहता है। 15 दिनों के बाद पटवारी डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से नामांतरण कर रिकार्ड दुरुस्त करेगा। इससे नामांतरण भुइयां कार्यक्रम के साफ्टवेयर में दिखाई देगा। फर्जी खरीद-फरोख्त पूरी तरह से बंद हो जाएगाी।

महासमुंद के जिला पंजीयक दीपक मंडावी ने बताया कि पंजीयक दफ्तर में सॉफ्टवेयर अपलोड किया जा रहा है। अब नामांतरण के लिए लोगों को चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सॉफ्टवेयर अपलोड होने के बाद सारे दस्तावेज ऑनलाइन हो जाएंगे।