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सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के निचलौल रेंज से बेंत की तस्करी जोरों पर

बेंत की लकड़ी के बने सामान बढ़ाते हैं अमीरों के ड्राइंगरूम की शोभा

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cane wood Smuggling in mahrajganj

सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के निचलौल रेंज से बेंत की तस्करी जोरों पर

महराजगंज. बेंत एक दुर्लभ प्रजाति की लकड़ी है जो हर जगह नही पाई जाती।यह लकड़ी छत्तिसगढ़, मध्य प्रदेश ,उड़ीसा ,राची आदि प्रदेशों के जंगलो के अलावा महराजगंज के वन क्षेत्र के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।इस वेशकीमती लकड़ी से बिनावटदार खूबसूरत टोकरियां फैंसी सोफे,झूला व कुर्सी टेबल बनाए जाते हैं जो मंहगे दाम पर बिकते हैं।इस लकड़ी की खाशियत यह है कि यह डंठल की शक्ल में बेहद लचीला और मजबूत होता है।


यह वन विभाग द्वारा प्रतिबंधित लकड़ी है।इसके अवैध कटान पर सख्त सजा का प्रावधान है।बावजूद इसके इस लकड़ी की धूंआधार कटान जारी है।जो बिना वन विभाग के जिम्मेंदारों के मिलीभगत से संभव नही है।इस लकड़ी की मांग नेपाल और बिहार में ज्यादे है जहां इससे बने सामानों की बाहर तक सप्लाई होती है।इससे बने सामान अमीरों के ड्राइंग रूम की शोभा बढ़ाते हैं।

सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के निचलौल रेंज में फैले बेत की लकड़ी पर तस्करों की नजर गड़ गई है। लकड़ी तस्कर बेखौफ होकर इसकी कटाई कर रहे हैं।तस्कर उसे जंगल से काटकर एक जगह इकट्ठा कर रहे हैं।झाड़ झंखाड़ व झुरमुटदार होने के नाते इसकी कटान थोड़ी मुश्किल होती है लिहाजा बेखौफ तस्कर कुछ दिन पहले वेंत के जंगल में आग लगा दिए थे ताकि वेत तस्करों के लिए उसे काटना और इकट्ठा करना आसान हो जाय।मजे की बात है कि वेंत के झुरमुट में आग लगाए जाने की जानकारी के बाद भी वन विभाग सचेत नही हुआ नतीजा प्रतिदिन कम से कम एक ट्रक वेत की कटान और तस्करी जारी है।


तस्कर बेत काटकर नेपाल सीमा के एक गांव में इकट्ठा करते हैं उसके बाद अपनी सूचना तंत्र के पायलेटिंग के अनुसार उसे नेपाल अथवा बिहार तक ले जाते हैं।तस्कर ज्यादातर पगडंडी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं।

ताकि माल आसानी से अपने ठिकाने पर पहुंच जाए।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस समय चिउटहां के पास लक्ष्मीपुर गांव मे बेंत इकट्ठा किये जा रहे है।बाद मे उसे पीकअप से गंतव्य तक भेजा जाना है। सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग निचलौल रेंज के वेत बाहुल्य वन क्षेत्रों में तस्करों व उनके मुखबिरों की सक्रियता ने वन अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। इस संबंध में निचलौल वन क्षेत्राधिकारी अशोक चंद्रा का कहना है कि बेंत काटने का परमिट बनता है।अभी कोई परमिट नहीं बने है।चोरी छिपे तस्करों वेत कटान की सूचना मिली है।विभाग उनसे निपटने के लिए एक गोपनीय रणनीति पर काम कर रहा है। शीघ्र ही बड़ी कामयाबी की उम्मीद है।

BY यशोदा श्रीवास्तव