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यशोदा श्रीवास्तव
महराजगंज. पीएम नरेंद्र मोदी जब नेपाल में भारत और नेपाल के बीच सदियों पुराने रिश्ते को और प्रगाढ़ होने का दम भर रहे थे तभी नेपाल की धरती पर घटित दो घटनाएं उनके दावे की धज्जियां उड़ा रही थी।इन दोनों घटनाओं ने साबित किया कि भारत और नेपाल सरकार के बीच भले ही रिश्ते मधुर हुए हों , दोनों देशों की जनता जनता के बीच नफरत जस का तस है।यह बीज नेपाल में मौजूदा प्रधानमंत्री ओली ने जहां अपने पूर्व के काल में बोया था वहीं ऐसे ही नफरत और गुस्से का जन्म नेपाल जाने वाले भारतीय नाकों की कई महीने तक चली बंदी के बाद उतपन्न हुआ।सारा विश्व मानता है कि इस कष्टकारी बंदी की वजह खुद तत्काल की ओली सरकार थी लेकिन ओली इसके लिए खुलकर मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराने में कामयाब हुए।सच तो यह है कि नेपाल में पहाड़ से लेकर भारत सीमा से सटे तक यदि ओली की सरकार है तो इसके पीछे नेपाल के आम चुनाव में ओली का मोदी और भारत विरोध का भड़काऊ भाषण ही रहा।हैरत है कि जनकपुर से काठमांडू तक नेपाली पीएम ओली ने हमारे पीएम मोदी के स्वागत में भले ही कोई कसर न छोड़ी हो लेकिन दोनों देशों के संबंधों में दरार डालने वाले अपने बयानों जिसे नेपाल में भारत के खिलाफ ओली के भाषणों को ओली की गोली की संज्ञा दी गई थी,ऐसी गोली के दुबारा न दागने का जिक्र ओली ने एक बार भी नहीं किया जिसकी उम्मीद थी।जानकारों का कहना है कि भारतीय पीएम की मौजूदगी में नेपाली पीएम यदि एक जबान भी ऐसा कहे होते तो इसका असर सीधे जनता से जनता तक होता।
मोदी के काठमांडू में रहते ही नेपाली बुद्धजीवियों का कहना था कि यह कैसी मधुरता और संबंधों की प्रगाढ़ता का उपदेश है कि एक ओर नेपाल सरकार भारतीय पीएम के स्वागत में कसीदे पढ़ रही है तो दूसरी ओर मोदी के विरोध में सरकारी दल का अनुषांगिक संगठन अखिल क्रांतिकारी नेपाल मोदी के नेपालें रहने तक अनशन कर रहा हो।सरकारी दल का यह छात्र संगठन मोदी के विरोध में त्रिभुवन विश्वविद्दालय काठमांडू के प्रांगण में 36 घंटे तक अनशन पर रहा और सरकार की ओर से इसे रोकने की कोई कोशिश नही हुई। इतना ही नहीं भारतीय पीएम मोदी का जनकपुर में एतिहासिक अभिनंदन हुआ तो इसके इतर नेपाल की राजधानी काठमांडू में जगह जगह मोदी गो बैक मोदी इज क्रिमनल के बड़े बड़े पोस्टर और बैनर भी देखे गए।हैरत है कि मोदी विरोधी इन पोस्टरों को भी नहीं हटवाया गया और ये राजधानी के प्रमुख नाकों पर मुंह चिढ़ाते टंगे रहे। मोदी के नेपाल में रहते एक घटना तो उनके विरोध का रहा जबकि दूसरी घटना न केवल दिल दहला देने वाली रही,इससे तो साफ जाहिर हुआ कि नेपाल में कहीं न कहीं तीसरे देश का प्रभाव बढ़ रहा जिसके इशारे पर नेपाल की धरती से भारत विरोध को हवा दिया जा रहा है।
Published on:
13 May 2018 10:19 pm
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