
holi 2018
मैनपुरी। होली के रंग अनेक हैं। हर जिले में अलग-अलग परंपराए हैं। एक अनोखा परंपरा है मैनपुरी में। यहां के चतुर्वेदी होली पर जो धमाल मचाते हैं, वह देखने लायक होता है। मैनपुरी के रहने वाले चतुर्वेदी समाज के जो लोग बाहर रह रहे हैं, वे होली पर एकत्रित होते हैं। फाग गाते हैं। रसिया गाते हैं। सवारी निकालते हैं। करीब 400 वर्ष पुरानी परंपरा को आज भी निभा रहे हैं। इसके लिए दो दिन की छुट्टी लेते हैं।
ये है इतिहास
मैनपुरी के राजा थे तेज सिंह। उन्हें होली और संगीत का बहुत शौक था। चतुर्वेदी समाज के लोग गायन में माहिर होते हैं। इसलिए राजा तेज सिंह ने चतुर्वेदी समाज के लोगों को किले के आसपास बसाया। यह चतुर्वेदियों का मोहल्ला कहलाता है। होली पर तीन दिन तक खूब धमाल होता है। रंगभरनी एकादशी पर चतुर्वेदी समाज के लोग मैनपुरीवासियों को होली खेलने का न्योता गाकर देते हैं। इस बार भी रंगभरनी एकादशी पर चतुर्वेदी समाज के लोगों ने मंदिर वाराह जी महाराज से सवारी निकाली और अबीर-गुलाल उड़ाया। मैनपुरी के लोगों को होली खेलने का निमंत्रण दे दिया है। अब इंतजार है एक और दो मार्च का।
एक और दो मार्च को क्या होगा
एक मार्च को पुरानी मैनपुरी स्थित दाऊजी महाराज मंदिर से शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो गणेश मंदिर तक जाएगी। हारमोनियम, तबला की थाप पर रसिया और फाग गाते हुए निकलेंगे। खास बात यह है कि लाल रंग और टेसू के फूलों के रंग ही उपयोग करेंगे। अनुपम चतुर्वेदी, प्रवीन चतुर्वेदी, मनोज मिश्रा, प्रसून मिश्रा, गुंजन मिश्रा, मनीष चतुर्वेदी, मुदित मिश्रा, करुणेश चतुर्वेदी, नूतन चतुर्वेदी, देवेश चतुर्वेदी, विनय सोती, वरुण सोती का कहना है कि लाल रंग का संबंध देवताओं से है। दो मार्च को ठाकुरजी की सवारी गणेश मंदिर से दाऊजी महाराज के मंदिर तक जाएगी। सवारी आगे बढ़ती जाएगी और पीछे रंग की होली का समापन होता जाएगा। शाम को फिर होली मिलन होगा।
Published on:
28 Feb 2018 04:29 pm
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