scriptकभी बसों में बेचते थे पेन, यूं बन गए करोड़पति, जानें पूरी कहानी | Motivational Story in Hindi: of Su Kam Founder Kunwar Sachdev | Patrika News

कभी बसों में बेचते थे पेन, यूं बन गए करोड़पति, जानें पूरी कहानी

locationजयपुरPublished: Aug 21, 2019 07:10:12 pm

Motivational Story in Hindi: पढ़ाई करने के साथ ही कुंवर सचदेव अपने खाली समय में अपने बड़े भाई के साथ साइकिल पर गली-मोहल्लों और बसों में जाकर पेन बेचने का काम करते थे।

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Motivational Story in Hindi: सकारात्मक सोच और बुलंद हौसलों के साथ अपने आइडिया पर की गई मेहनत इंसान को कामयाबी की ओर ले जाती है। ऐसी ही एक मिसाल हैं सु-कैम पावर सिस्टम्स के फाउंडर और एमडी कुंवर सचदेव। उन्होंने कुछ कर दिखाने की चाह के साथ अपनी सफलता की कहानी लिखी है।

कुंवर का जन्म 1962 में दिल्ली के एक साधारण परिवार में हुआ। कुंवर तीन भाई हैं। उनके पिता भारतीय रेलवे में सेक्शन ऑफिसर थे। इस लिहाज से उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं थी। जब कुंवर पांचवीं कक्षा में थे तब उनके पिता ने उन्हें प्राइवेट स्कूल से निकाल लिया और उनका दाखिला सरकारी स्कूल में करवा दिया।

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कुंवर ने 12वीं के बाद स्टेटिस्टिक्स ऑनर्स में एडमिशन लिया। पढ़ाई करने के साथ ही कुंवर सचदेव अपने खाली समय में अपने बड़े भाई के साथ साइकिल पर गली-मोहल्लों और बसों में जाकर पेन बेचने का काम करते थे। कुछ समय बाद पेन बेचने का काम बंद कर दिया और दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की। उन्होंने केबल टीवी कंपनी में मार्केटिंग का काम करना शुरू किया।

दो साल बाद उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने का विचार किया। 1988 में उन्होंने अपनी बचत के 10 हजार रुपए से केबल बिजनेस शुरू किया और कंपनी का नाम रखा सु-कैम। उस समय केबल टीवी का बिजनेस ज्यादा नहीं था, लेकिन 1991 में वैश्वीकरण के बाद उनका बिजनेस खूब चला।

कुंवर के घर में इन्वर्टर अक्सर खराब हो जाता था, ऐसे उन्हें आइडिया आया कि ऐसी कंपनी बनाई जाए, जो अच्छे इन्वर्टर उपलब्ध कराए। उन्होंने छोटी-सी शुरुआत की और कुछ इंजीनियर्स को साथ लिया। उन्होंने जो इन्वटर्स तैयार किए, वे ग्राहकों को पसंद आए।

एक घटना के बाद उन्होंने स्पेशल प्लास्टिक बॉडी के इन्वर्टर बनाना शुरू कर दिया। साथ ही सोलर एनर्जी सिस्टम भी तैयार किया। इसके बाद वह बिजनेस में लगातार आगे बढ़ते गए। आज उनका बिजेनस दुनिया के कई देशों में फैल गया है। उनका मानना है कि आइडिया को प्रभावी तरीके के साथ एग्जीक्यूट करना सबसे ज्यादा जरूरी है।

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