
पक्षी सर्वेक्षण के दौरान कैमरा कैद हुई अद्भूत फोटो: देखिए
मंडला. कान्हा नेशनल पार्क में पहली बार ग्रीष्म ऋतु में पक्षियों का सर्वे हुआ। जिसमें विभिन्न प्रजाति के पक्षी भी दिखाई दिए जो अन्य मौसम में सर्वे से छूट जाते हैं। जानकारी के अनुसार कान्हा टायगर रिजर्व के अंतर्गत 10 से 12 जून तक पक्षी सर्वेक्षण किया गया। यह पक्षी सर्वेक्षण कार्य कान्हा टायगर रिजर्व क्षेत्र संचालक सुनील कुमार सिंह के निर्देशन एवं वाईल्डलाईफ एंड नेचर इंदौर की संस्था के सहयोग से किया गया। यह इस साल का दूसरा पक्षी सर्वेक्षण है। जो कि ग्रीष्म ऋतु में पहली बार किया गया। पक्षी विशेषज्ञ को यह महसूस हुआ कि इस सीजन के पक्षी की गणना छूट रही है। अलग-अलग ऋतु में सर्वेक्षण करने से पक्षियों की विभिन्न प्रकार की जातियों के बारे में जानकारी मिली। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक हर ऋतु के पक्षी की गणना ना कि जाए तब तक डाटा संपूर्ण नहीं हो सकता। इसी को ध्यान में रखकर यह सर्वे किया गया और सर्वे में काफी संख्या में पक्षी दिखाई दिए। जो कि फरवरी में हुए सर्वे में दिखाई नहीं दिए थे। जिसमें ड्रोंगो कोयल, ग्रे पेट वाली कोयल भारतीय कोयल, ब्राउन हॉक कोयल, पपड़ीदार पेट वाला कठफोड़वा, पल्ला की मछली ईगल, सफेद दुम मुनिया, तावी चील, रूडी ब्रेस्टेड क्रेक, पफ थ्रोटेड बब्बलर, पन्ना कबूतर, काली सिर वाली कोयल, क्रिमसन सनबर्ड, नीली दाढ़ी वाला मधुमक्खी भक्षक, कम पीले रंग का कठफोड़वा, हरा मुनिया, सिरकीर मल्कोहा आदि शामिल रहे। संयुक्त संचालक नरेश सिंह यादव ने सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों को कान्हा के बारे में जानकारी दी। संस्था के अध्यक्ष सुरेंद्र बागड़ा ने बताया कि इस सर्वेक्षण कार्य में स्वयंसेवकों का रुझान बहुत अधिक रहा और अनुभव को आधार बनाते हुए देश के 10 राज्यों से 55 पक्षी विशेषज्ञ को चुना गया। दोनों सर्वे के डाटा का आकलन करके एक विस्तृत रिपोर्ट विभाग को सौंप दी जाएगी। पक्षी सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की गणना करना रहा। इस तरह के सर्वेक्षण से पक्षियों के बारे में अधिक जानकारी इक_ा करना है, उनके प्राकृतिक आवास, व्यवहार में कोई बदलाव आदि का अध्ययन करना है। कान्हा के पार्क अधीक्षक सुनील सिन्हा ने बताया कि सर्वेक्षण में 2 से 3 समूह को कान्हा टायगर रिजर्व के अलग-अलग स्थानों पर भेजा गया। इस तरह के सर्वेक्षण से विभाग को पक्षियों के आकड़ों को एकत्रित करने में सहायता मिलती है, तथा निष्कर्ष के अनुसार पक्षियों के संरक्षण हेतु योजना तैयार की जा सकेगी।
Updated on:
13 Jun 2022 05:34 pm
Published on:
13 Jun 2022 02:40 pm
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