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अमृत सरोवर योजना का शुभारंभ औपचारिक  की घोषणा

इसका लोगों को लाभ नहीं मिल रहा

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अमृत सरोवर योजना का शुभारंभ औपचारिक  की घोषणा

अमृत सरोवर योजना का शुभारंभ औपचारिक  की घोषणा

निवास. जल संरक्षण एवं सूखे जैसी भयावह स्थिति से निपटने के लिए केन्द्र सरकार के द्वारा अमृत सरोवर योजना लाई गई। जिसके अनुसार अमृत 15 अगस्त 2023 तक देश भर के प्रत्येक जिले में 75-75 तालाबों का निर्माण किया जाना है। अमृत सरोवर मिशन के तहत नए तालाब खोदे जाएंगे और पुराने तालाबों को पुनर्जीवित किया जाएगा और बड़े और गहरे तालाब बनाए जाएंगे। अमृत सरोवर योजना का शुभारंभ करते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आजादी अमृत महोत्सव 24 अप्रैल 2022 को इस योजना को शुरू करने की औपचारिक घोषणा की थी, इस योजना के माध्यम से प्रत्येक राज्य के प्रत्येक जिले में 75 से अधिक तालाबों का निर्माण करवाया जाएगा जिससे कि गर्मी के समय में होने वाले भूजल की कमी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा। लेकिन मंडला के विकासखंड निवास के अंतर्गत ग्राम सरसवाही में निर्माणाधीन अमृत सरोवर के निर्माण में बरती गई लापरवाही और भ्रष्टाचार तो कुछ और ही कहानी बयां करती है। मानों यह योजना पानी के सूखे से निजात पाने के लिए नहीं।

प्रतिदिन पानी के संकट से जूझ रहे इन ग्रामीणों की मनोदशा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बांध निर्माण के लिए पांच किसानों ने अपनी जमीन दान दें दी ताकि पानी को रोक सकें और इसका उपयोग स्वयं व मवेशी एवं कृषि कार्य में किया जा सके। गांव वालों ने अमृत सरोवर योजना के तहत बनने वाले छोटे से बांध से अमृत रूपी जल मिलने की आस रखी थी लेकिन भृष्टाचार ने उनसे यह इस छीन लिया। गांव के लोगों ने बताया कि इस छोटे बांध का निर्माण कौन कर रहा है। कितनी राशि स्वीकृत है, आज तक नहीं पता चला है मई से कार्य शुरू हुआ था पहली बारिश मे पानी रूका भी था लेकिन धीरे धीरे पानी खत्म होता गया जब अच्छे से मुआयना किया गया तो पता चला कि बांध के बीच में रिसाव है जिससे पानी रिसता है। इस बांध को गौर से देखने से साफ पता चलता है कि मशीनों की सहायता से एक स्थान की मिट्टी मुर्रम खोद कर दूसरे पर रख दिया गया है जबकि इसके लिये जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है वह नहीं किया गया। जब रिसाव को लेकर हल्ला हुआ तो एक बार फिर यहां काम लगा दिया गया है कुछ दिन पहले सुधार कार्य की जानकारी जब ग्रामीणों को लगी तो कार्य स्थल पर पहुंच कर देखा गया जिसमें वाटरशेड विभाग के लोगों द्वारा काली मिट्टी के बदले काली मुर्रम डाल रहे थे यह सब देखकर ग्रामीण भड़क गए और लोगों ने हंगामा मचा दिया जिससे तुरंत काम को रोक दिया गया है।

विकास खण्ड में अन्य जगहों पर स्वीकृत इस अमृत सरोवर में एक बात साफ निकल कर आई है कि विभाग के लोग अपने खास कुछ लोगों के टेंडर पंचायत में लगवाते हैं जो एक दूसरे के टेंडर दरों को समर्थन करते हैं यही सरस्वाही में भी हुआ है। कार्य की गुणवत्ता के जांच के बगैर जनपद पंचायत निवास ने भुगतान कैसे कर दिया है।

नहीं ठहरा बूंदभर पानी

लाखों की लागत से बने इस सरोवर में एक बूंद पानी भी नहीं ठहरा जबकि संबंधित विभाग की मानें तो यहां पानी भरे होने के कारण काम को रोका गया है। वही जब हमारे प्रतिनिधि ने उक्त स्थल का मौके पर जाकर देखा तो जबकि वास्तविकता यह है कि सरोवर की तली की मिट्टी में दरारें आ गईं हैं, जो की विभाग के दावे की पोल खोलने के लिये पर्याप्त हैं। बहरहाल किसानों के द्वारा दिया गया भूमिदान और लाखों की शासकीय राशि बेकाज ही साबित होती नजर आती है। इसका लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है।

संबंधित एजेंसी के द्वारा अमृत सरोवर का गुणवत्ता विहीन निर्माण किया जा रहा है। काली मिट्टी के स्थान पर मरूम का उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों से किसी प्रकार की कोई चर्चा नहीं की जा रही है न ही सलाह विमर्श किया जा रहा है।

कुंवर लाल झारिया, ग्रामीण