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61 साल की उम्र में क्रोशिया हॉबी को दिया बिजनेस का रूप

जज्बा: आदिवासी महिलाओं को सशक्त बना रहीं कंचन

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61 साल की उम्र में क्रोशिया हॉबी को दिया बिजनेस का रूप

61 साल की उम्र में क्रोशिया हॉबी को दिया बिजनेस का रूप

झुमरी तलैया. कहते हैं कि सपनों को आकार देने का कोई समय नहीं होता, जब भी अवसर मिले तो उसे पकड़ लें। ऐसा ही कर दिखाया है शहर की कंचन भदानी ने, जिन्होंने उम्र के 60वें दशक में अपने क्रोशिया के पैशन को टॉय बिजनेस में बदल दिया। कंचन न केवल स्वयं सशक्त बनी, बल्कि झारखंड के झुमरी तलैया की आदिवासी महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं। कंचन ने 61 साल की उम्र में वर्ष 2021 में ‘लूपहूप’ नाम से क्रोशिया खिलौनों का स्टार्टअप शुरू किया था और अब तक करीब तीन हजार से ज्यादा खिलौने बेच चुकी हैं। साथ ही 50 से अधिक आदिवासी महिलाओं को क्रोशिया कला में प्रशिक्षित कर खिलौने बनाने के व्यवसाय से जोड़ा है। कंचन का कहना है कि उनका बचपन कोलकाता में बीता। बचपन में उन्होंने अपनी दादी और मौसी को क्रोशिया के टेबल कवर और खिलौने बनाते देखा, तभी उन्होंने भी यह हुनर सीखा। शादी के बाद झुमरी तलैया में रहने लगीं। इस दौरान वह बहुत सी आदिवासी महिलाओं से मिलीं, जो साक्षर नहीं थीं। दैनिक मजदूरी कर भी इतना पैसा नहीं कमा पाती थीं, कि घर खर्च निकल जाए। कंचन इन महिलाओं के लिए कुछ करना चाहती थीं, फिर उन्होंने उन्हें क्रोशिया का प्रशिक्षण देना शुरू किया।

सालाना 14 लाख रुपए है टर्नओवरकंचन और आदिवासी महिलाओं का समूह तरह-तरह के क्रोशिया सॉफ्ट टॉयज बनाते हैं, जिसमें ऑक्टोपस, गुड़िया, हाथी कैटरपिलर आदि शामिल हैं। वह खिलौनों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट और ई-कॉमर्स साइट्स के माध्यम से बेचती हैं। अब उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 14 लाख रुपए से अधिक है। कुछ घंटों के काम से हर महिला करीब 5000 रुपए मासिक कमा लेती है।