
आम जनता से दूर रही है मुद्दे की बात, वर्षो से अधूरे कार्य पूरे होने का इंतजार
मंडला। लोकसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरु हो चुका है। महज 10 दिन बाद लोकसभा के लिए मतदान होना है। इन दिनों सभी राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों, प्रत्याशियों, कार्यकर्ताओं से लेकर उनके स्टार प्रचारक तक विकस के वादों की इबारत पढ़ रहे हैं। ये बात और है कि महीनों से अटकी विकास की गाड़ी आगे नहीं बढ़ रही है। जिले में पिछले दो दशक से कुछ मुद्दे ऐसे हैं, जो हर बार चुनाव के दौरान गरमा जाते हैं। चुनाव आते ही नेताओं को गरीब, आदिवासी की समस्याएं अपनी लगने लगती है। विकास में पिछड़ेपन से लेकर खनिज, बांस, धान, इंजीनिरिंग, मेडिकल कॉलेज, ब्राडगेज, सड़क, पुल-पुलिया सब कुछ दिखाई देने लगता है, लेकिन चुनाव खत्म होते ही वही नेता सब भूल जाते हैं। नतीजा ये आदिवासी बहुल जिला विकास की अपेक्षित दौड़ में बहुत पीछे है। इन्हीं हालातों के कारण 50 प्रतिशत युवा पढ़ाई के लिए महानगरों का रूख कर रहे हैं। जो विकास का पुराना राग अलाप रहे हैं, चौक-चौराहों पर नुक्कड़ सभा लेते विरोधियों पर निशाने साधते विकास की कई बातें कर रहे हैं। लेकिन ये मतदाता है... सब जानती है कि एक बार चुनाव हो जाएं, सारे के सारे नेता हर बार की तरह अपने अपने ठीहों पर वापस लौट जाएंगे और जनता के पास रहेगा तो सिर्फ अपनी मांगों को पूरा करने का इंतजार।
18 करोड़ में दूर नहीं हुआ जल संकट
प्रमुख मुदï्दों में पेयजल संकट, बेरोजगारी हैं। नर्मदा किनारे बसे होने के बाद भी पेयजल संकट के लिए बेहतर प्रयास नहीं किए गए हैं। मंडला नगर परिषद में तीन साल पहले मुख्यमंत्री पेयजल योजना के तहत 18 करोड़ रुपए की लागत से पानी टंकी का निर्माण किया गया था। पाइप लाईन विस्तार में लापरवाही के कारण अब तक लोगों की पेयजल समस्या दूर नहीं हो सकी है।
चुटका परियोजना को लेकर कांग्रेस व भाजपा हमेशा आमने सामने ही रहते हैं। भाजपा इसे जिले के लिए बड़ी सौगात बता रही है तो कांग्रेस विस्थापित लोगों को पर्याप्त मुआवजा न मिलने के कारण विरोध दर्ज करा रही है। न्यूक्लीयर पॉवर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा इस परमाणु बिजली घर का निर्माण नारायणगंज ब्लॉक के ग्राम चुटका में किया जाना है। इस परियोजना के तहत लगभग 54 गांव प्रभावित हो रहे हैं। जहां 700 मेगावाट की दो यूनिट से 1400 मेगावाट बनाने के बाद जल्द ही इनका विस्तार कर 2800 मेगावाट बिजली बनाने का प्रस्ताव है। इस परियोजना से बरगी बांध के विस्थापित ग्राम चुटका, टाटीघाट एवं कुण्डा के लगभग 350 परिवारों को दुबारा विस्थापित होने पर मजबूर हैं।
जो काम आज तक हैं अधूरे
मंडला-नैनपुर ब्राडगेज का काम वर्र्षों से अधर में है। इन वर्षों में कांग्रेस-भाजपा दोनों की सरकार बनी, लेकिन चुनावी मेल के आगे जिले की रेल अब भी अटकी हुई है। जबलपुर गोंदिया ब्राडगेज परियोजना का काम 1996 में शुरु हुआ था, जिसे 2004 में पूरा हो जाना था, लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ है। नैनपुर से जबलपुर तक ट्रेन संचालित है। वहीं नैनपुर से मंडला व बालाघाट का काम चल रहा है। जिले के सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का वादा पिछले लोकसभा चुनाव में भी किया गया था। इसके बावजूद अभी तक लगभग आधा सैंकड़ा गांवों में बिजली नहीं पहुंची है। यहां के लोग आज भी चिमनी और लालटेन की रोशनी के बीच जीने को मजबूर हैं।
* शिक्षा के क्षेत्र में इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेज खोलने के वादे हुए, लेकिन स्वयं शिक्षित नेता शिक्षा की तत्काल आवश्यकता को नहीं समझ पाए।
* जिले में सबसे दयनीय स्थिति में किसान है। अपनी उपज बेचने के लिए उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। न समय पर अनाज का उठाव होता है और न ही भुगतान।
* नेशनल हाईवे की समस्या से लोगों को निजात नहीं मिल सकी है। जबलपुर से मंडला तक सड़क निर्माण का काम दो साल में भी पूरा नहीं हो सका है। मौसम या बेमौसम बारिश के कारण आए दिन मार्ग में जाम लग रहा है।
* मंडला से जबलपुर और मंडला से डिंडोरी जाने के लिए रेल की सौगात लोगों को आज तक नसीब नहीं हुई है।
Published on:
18 Apr 2019 07:26 pm
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