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सीमित जगह पर ब्रजेश कर रहे कई टन मछली का उत्पादन

बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन से कमाई, दूसरों को रोजगार के साथ किसानो को प्रशिक्षण

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सीमित जगह पर ब्रजेश कर रहे कई टन मछली का उत्पादन

सीमित जगह पर ब्रजेश कर रहे कई टन मछली का उत्पादन

मंगल सिंह
मंडला. बायोफ्लॉक तकनीक से युवक सलाना -5-6 लाख रुपए कमाई कर रहा है। वहीं प्रत्यक्ष रूप से आधा दर्जन तो अप्रत्यक्ष रूप से एक दर्जन से अधिक लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं। युवक को देखकर दूसरे किसान भी प्रशिक्षित हो रहे हैं। इसे जिले में मछली उत्पाद भी बढ़ रहा है। जानकारी के अनुसार बिछिया विकासखंड के ग्राम खिरहनी रामनगर निवासी युवक ब्रजेश ठाकुर अपने घर में ही बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन कर रहा है। ब्रजेश मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद 14 साल पुणे की एक निजी कंपनी में नौकरी की। लेकिन प्रकृति और कृषि के प्रति अपने जुनून के कारण उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर अपने और अपने आसपास के किसानों के लिए कुछ करने की ठान ली। इसलिए उन्होंने पूरे जिले का सर्वे किया और पाया कि मत्स्य उत्पादन में ज्यादा स्कोप है। जिले में मछली की खपत अधिक व उत्पादन कम है। यहां मार्केटिंग की भी समस्या नहीं है। बायोफ्लॉक मछली पालन की टे्रनिंग लेने के बाद बृजेश ने अपने घर पर ही एक बायोफ्लोक टैंक बनाकर पूर्ण रूप से व्यावहारिक अनुभव लिया और टैंक की मछली बिक्री शुरू करने के बाद मत्स्य पालन विभाग से संपर्क किया। जहां उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की जानकारी दी। बायोफ्लॉक टैंक का निरीक्षण कर 25 टैंकों की एक बायोफ्लोक यूनिट प्रदान किया।
15 लाख रुपए की मिली सब्सिडी
परियोजना की कुल लागत 25 लाख थी, जिसमें 18.75 लाख बैंक ऑफ महाराष्ट्र रामनगर से ऋण और 6.25 लाख स्वयं द्वारा निवेश किए। उन्होंने 2020 में छोटे बड़े साइज के कुल 25 टैंक का निर्माण कराया। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद 15 लाख की सब्सिडी बैंक में मत्स्य विभाग ने जमा करा दी।


शुरुआत में आई समस्या अब बढ़ी आमदानी
तकनीक की पर्याप्त जानकारी ना होने से ब्रजेश को शुरूआत में समस्याओं का सामना करना पड़ा। टैंकों में कम वातन, अधिक मृत्युदर, अच्छी गुणवत्ता वाले बीज की अनुपलब्धता, अमोनिया के स्तर पर वृद्धि आदि समझने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जिससे निपटने के लिए उन्होंने डिजीटल का सहारा लिया ऑनलाइन लेखों, वीडियो का अध्ययन किया। जिसमें वह सफल हुए। अब परियोजना पर दूसरे किसानो को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।
स्लेज हटाने एयरलिफ्ट तकनीक का करते हैं उपयोग
ब्रजेश ने बताया कि वह स्लेज को हटाने के लिए एयरलिफ्ट तकनीक का उपयोग करते हैं क्योंकि यह पानी की बर्बादी को कम करने में मदद करती है। ब्रजेश ने जल प्रवाह प्रणाली, जल प्रसार का इस्तेमाल करके अमोनिया को पूरी तरह से नियंत्रित किया इस प्रणाली से घुलित ऑक्सीजन में भी वृद्धि होती है। ब्रजेश वार्षिक 10 मेट्रिक टन मछली उत्पादन कर रहे हैं। जिसमें पंगेसियस प्रजातियां प्रमुख हैं। वार्षिक कारोबार 14 लाख के आसपास है जिसमें 5-6 लाख शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं।