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बिना जानकारी के जिला अस्पताल में लगाया जा रहा कॉपर-टी

महिलाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा स्वास्थ्य विभाग का अमला

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बिना जानकारी के जिला अस्पताल में लगाया जा रहा कॉपर-टी

बिना जानकारी के जिला अस्पताल में लगाया जा रहा कॉपर-टी

मंडला. आईएसओ प्रमाणित जिला अस्पताल में प्रसूता महिलाओं को उनकी बगैर जानकारी कॉपर-टी लगाई जा रही है। ऐसे में गर्भ निरोधक का काम करने में कारगर कॉपर टी के दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं लेकिन कॉपर टी लगाने के बदले मिलने वाली प्रोत्साहन राशि के चक्कर में महिलाओं या उनके परिजनों को जानकारी दिए बगैर ही डिलेवरी के समय में प्रसूता महिलाओं को कॉपर टी लगाई जा रही है।

इस तरह सरकार द्वारा परिवार नियोजन करने पर स्टॉफ नर्सों और डॉक्टरों के लिए किया गया प्रोत्साहन राशि का प्रावधान गांव की भोली भाली महिलाओं के लिए अभिशाप बनता बनता जा रहा है। वहीं नर्सों के लिए अतिरिक्त कमाई का जरिया बन गया है। ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन राशि झटकने की होड़ में जिला अस्पताल की नर्सें प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को उनकी बगैर सहमति और बगैर जानकारी के ही कापर टी लगा रहीं हैं।

कॉपर-टी लग गई और पता ही नहीं चला

जिला अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं से जब पत्रिका की टीम ने बातचीत की तो पता चला कि अधिकांश महिलाओं को उनकी जानकारी के बगैर ही कॉपर टी लगा दी गई थी, इतना ही नहीं महिलाओं का कहना था कि उनके द्वारा मना करने पर भी जबरदस्ती कॉपर-टी लगा दी गई।

इसी के साथ कुछ ऐसी महिलाएं भी सामने आई जिन्हें परिवार नियोजन के लिए जरूरी कॉपर-टी के संबंध में समुचित जानकारी ही नहीं थी। जो जिले में परिवार नियोजन से जुड़े अभियानों की कलई खोल रही है।

क्या है कापर-टी

सरकारी अस्पतालों में जो कॉपर-टी महिलाओं को नि:शुल्क लगाई जाती है। वह बाजार में 3000 से 4000 के बीच यह तीन से पांच साल तक के लिए लगाई जाती है। जानकारी अनुसार कभी-कभी कुछ महिलाओं को यह सूट भी नहीं होती और उन्हें पेट में दर्द, उल्टी आदि की शिकायत हो जाती है। कापर टी परिवार नियोजन के लिए महिलाओं को लगाई जाती है। एक निश्चित समयावधि के बाद इसे हटाया जा सकता है। स्वेच्छा से कभी भी हटवाया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि कापर टी लगाने से परिवार नियोजन में सहुलियत तो होती है लेकिन जब यह खिसक जाती है तो काफी मात्रा में खून बहता है जो शरीर के लिए नुकसान दायक है। कॉपर-टी का आकार अंग्रेजी के अक्षर टी की तरह होता है, जिसमें एक प्लास्टिक रॉड होती है, साथ ही इसमें कुछ हिस्सा तांबे का लगा होता है। तांबा शुक्राणुओं को मारने का कार्य करता है, जीवित शुक्राणुओं के बिना गर्भ ठहरना मुश्किल होता है।

हर महीने हजारों की अतिरिक्त कमाईजानकारी के अनुसार एक महिला को कॉपर-टी लगाने के बदले प्रसव कराने वाली स्टॉफ नर्स को जहां 150 रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलती है। वहीं आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता, सहायिकाओं को भी प्रोत्साहन राशि मिलने की बात कही जा रही है। जानकारी अनुसार नर्सों को हर केस पर 150 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। जिसके लालच में महिलाओं को बिना बताए ही उनका परिवार नियोजन कर दिया जाता है। इसके जरिए कई नर्सें 10 से लेकर 15 हजार रुपए तक हर माह अतिरिक्त कमा रही हैं। यहां तक कई महिलाएं कापर टी की जगह ऑपरेशन कराना चाह रही हैं लेकिन उन्हें भी कापर टी लगा दी गई है। बताया गया कि जिला अस्पताल में औसतन हर रोज करीब 10-15 डिलेवरी होती है, इस तरह एक दिन में ही कॉपर टी के बदले हजारों की कमाई स्टॉफ नर्सों की हो जाती है।


कॉपर-टी बिना जानकारी के नहीं लगाई जाती है। बकायदा महिलाओं को इसके संबंध में जानकारी दी जाती है। इसके बाद ही कॉपर-टी लगाई जाती है।

डॉ. कृपाराम शाक्य, सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय