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चुनौतियों सेे नहीं मानी हार, सीखी मशरूम खेती की कला

समर्पण और कड़ी मेहनत से आत्मनिर्भर बनी पार्वती

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चुनौतियों सेे नहीं मानी हार, सीखी मशरूम खेती की कला

चुनौतियों सेे नहीं मानी हार, सीखी मशरूम खेती की कला

मंडला @ पत्रिका. महिलाएं अब किसी से कम नहीं हैं, पुरूषों के साथ कदम से कदम मिलाकर ऊंचाईयों को छू रही हैं। आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में ऐसी कई महिलाएं और युवतियां है जो स्वयं आत्म निर्भर तो हुई साथ ही अन्य महिलाओं और युवतियों को आत्मनिर्भर बनने की सीख देने के साथ उनके लिए मिशाल बनी हैं। आज हम एक ऐसी ही महिला की बात करेंगे, जिसने समर्पण और कड़ी मेहनत से अपने रास्ते की सभी चुनौतियों को हराते हुए आत्मनिर्भर बनी। इस महिला की सीखने की ललक ने ऑयस्टर मशरूम खेती की कला सीखकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर ली। इसे देखकर अन्य महिलाएं भी प्रेरणा ले रही है।

मंडला जिले के एक छोटे गांव चिरईडोंगरी की रहने वाली पार्वती बैरागी ने अपने जीवन की समस्याओं के बोझ को अपने रास्ते में नहीं आने दिया, जो महिलाएं अपनी जिंदगी को बोझिल समझने लगती है और कई महिलाएं इतनी साहसी होती है कि घर की चौखट को लांघ कर कुछ करने गुजरने की सोच से अपना और अपने परिवार का जीवन ही बदल देती है। पार्वती की इसी सोच ने उसका जीवन ही बदल दिया। गौरतलब है कि पार्वती बैरागी ने अपना जीवन बदलने के लिए मशरूम की खेती में उद्यम करने का फैसला किया। उन्होंने एक छोटे से भूखंड और मशरूम की खेती की न्यूनतम जानकारी के साथ इसकी शुरुआत की। पार्वती को शुरू में चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन वह सफल होने के लिए दृढ़ संकल्पित थी। पार्वती ने हार नहीं मानी और अपने दृढ़ में अटल रही। सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने पार्वती ने आजीविका मिशन के मार्गदर्शन से ऑयस्टर मशरूम की खेती की शुरूआत की।

अच्छी होने लगी फसल

समय के साथ पार्वती ने सब्सट्रेट तैयार करने से लेकर तापमान और आर्र्दता जैसी पर्यावरणीय स्थितियों को नियंत्रित करने तक मशरूम की खेती की कला पूरी ईमानदारी और समर्पण से सीखी। पार्वती ने लगन से अपने मशरूम हाउस का रखरखाव किया और यह सुनिश्चित किया कि मशरूम हाउस साफ रहे और दूषित पदार्थों से मुक्त हो। परीक्षण और त्रुटि के माध्यम से उन्होंने विकास प्रक्रिया को पूर्ण किया। समर्पण और कड़ी मेहनत से पार्वती द्वारा तैयार की गई ऑयस्टर मशरूम की फसल अच्छी होने लगी। उन्होंने स्थानीय और होटल के साथ संबंध विकसित किए और उन्हें ताजा, स्थानीय रूप से उगाए गए मशरूम की आपूर्ति शुरू कर दी। जैसे-जैसे उनकी उपज की गुणवत्ता का प्रचार हुआ मशरूम की खरीदी के लिए ग्राहक बढऩा शुरू हो गए। पार्वती की यह समर्पण की यात्रा दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प, सीखने की इच्छा और कड़ी मेहनत के साथ कम अनुभव वाले लोग भी मशरूम की खेती में सफलता पा सकते हैं, जो एक संपन्न और टिकाऊ कृषि क्षेत्र है।