
किसानों को सिखाया जा रहा घन जीवामृत बनाना
बीजाडांडी. सब मिशन आन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन (आत्मा) अंतर्गत प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण में कृषि एवं उद्यानकी अधिकारियों ने किसानों को घन जीवामृत बनाना सिखाया है। उपसंचालक कृषि मधु अली एवं अनुविभागीय कृषि अधिकारी डीके बारस्कर के मार्गदर्शन में ग्राम बीजेगांव विकास खंड नारायणगंज में चौपाल लगाकर ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर आत्मा मोहित गोल्हानी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एसके पटेल ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी मीरा उइके द्वारा उपस्थित किसान एवं ग्रामीणों को जैविक, प्राकृतिक कृषि उपयोग का महत्व बताया। प्रायोगिक करके जीवामृत बनाने की विधि बताई गई। बताया गया कि घन जीवामृत बनाने में सामग्री 100 किलो गोबर में गुड़ 2 किलो, बेसन 2 किलो, दलहन का आटा (अरहर, चना, मूंग, उड़द ) एवं गौमूत्र थोड़ा सा एक मुट्ठी उस खेत की मिट्टी उपरोक्त सभी पदार्थो को अछि तरह मिलाकर गूथ लें ताकि उसका हलवा, लड्डू जैसा गाढ़ा बन जाए उसे 2 दिन तक बोरे से ढ़ंककर रखें और थोड़ा पानी छिड़क दें। बाद में उसे इतना घना बनाए जिससे उसके लड्ड्डू बने। अब इस घन जीवामृत के लड्डू को मिर्च, टमाटर, बैगन, भिंडी सरसों के बीज के साथ भूमि पर रख दे उसके ऊपर सुखी घास डाले, पेड़ पौधे के पास रख सकते है ताकि जीवामृत जड़ों तक पहुँच सके। जीवामृत बनाने में सामग्री 10 किलो गोवर, 10 लीटर गौमूत्र, 2 किलो गुड़ 2 किलो बेसन एवं बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी, 180 लीटर पानी को एक ड्रम में लेकर तैयार किया जाता है तैयार होने में 4 से 6 दिन का समय लगता है तैयार जीवामृत को 1 एक एकड़ खेत के लिए तैयार किया जाता है साथ में फसलो में लगने वाले कीट रोगों की रोग थाम के लिए नीमास्त्र, ब्रहास्त्र दस्परणी अर्क बनाने की जानकारी दी गई। साथ ही खरीफ फसलों का अवलोकन कर तकनीकी मार्गदर्शन दिया गया।
Published on:
21 Aug 2022 06:49 pm
बड़ी खबरें
View Allमंडला
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
