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अमानक ईंट से बना दिए फारेस्ट लाइन क्वार्टर

स्वीकृत टेंडर ताक पर रख मित्र व्यापारी से खरीदे ईंट

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Forest Line Quarter made of non-standard brick

Forest Line Quarter made of non-standard brick

मंडला. जिले के वन मंडल पूर्व- सामान्य में शासन का नहीं बल्कि जंगल के नियम कायदों को थोपा जा रहा है। शासन के निर्देेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और नियमानुसार स्वीकृत टेंडरों को ताक पर रखकर अपने मित्र व्यापारियों से शासकीय निर्माण कार्य में प्रयुक्त सामग्रियों की खरीदी की जा रही है। २०१६-१७ के दौरान वन मंडल कार्यालय पूर्व सामान्य द्वारा वन मंडल प्रांगण अंतर्गत लाइन क्वार्टर का निर्माण किया गया। इसमें अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा जमकर धांधली की गई। वन मंडल द्वारा स्वीकृत निविदा में ईंट खरीदी के लिए उपनगरीय क्षेत्र महाराजपुर के मेसर्स भूपेंद्र सिंह गिल को ईंट प्रदाय करने के लिए अधिकृत किया गया लेकिन ईंटों की खरीद बिछिया विकासखंड के अंजनिया के नजदीक मांद गांव के साईं समर्थ मेसर्स प्रीतेश पटेल से की गई।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, उक्त निर्माण कार्य में न केवल स्वीकृत टेंडर के बजाय अन्य से ईंट खरीदी की गई, बल्कि खरीदी गई ईंट भी शासन के मापदंडों के अनुरूप इस्तेमाल नहीं की गई।
खरीदी महंगी ईंटें
वन मंडल अधिकारियों ने लाइन क्वार्टर निर्माण में न केवल टेंडरों को ताक पर रखकर अन्य व्यापारी से अमानक ईंटों की खरीदी की बल्कि उक्त व्यापारी को टेंडर में स्वीकृत राशि से अधिक राशि की दर से भुगतान भी किया गया। स्वीकृत टेंडर के अनुसार, अधिकृत प्रतिष्ठान से ३१९० रुपए प्रति हजार की दर से ईंट खरीदी की जानी थी। उक्त राशि मेंं परिवहन व्यय भी शामिल है। वनमंडल के अधिकारियों ने मांद गांव स्थित प्रतिष्ठान से ३६३१.४३ रुपए प्रति हजार की दर से ईंटों की खरीदी की और व्यापारी को अनुचित लाभ पहुंचाया। इससे शासन को दोहरा नुकसान हुआ। अमानक ईंटों को महंगी दर पर खरीदे जाने से शासकीय राशि का अपव्यय किया गया और अमानक ईंटों से निर्माण किए जाने से लाइन क्वार्टर की गुणवत्ता भी धरी की धरी रह गई।
विभागीय सूत्रों का यह भी कहना है कि गुणवत्ताहीन ईंटों के उपयोग के कारण क्वार्टर की मजबूती भी प्रभावित हुई है। इससे लाइन क्वार्टर में रहने वालों की जान जोखिम में होगी। भविष्य में कोई हादसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी अधिकारियों को लेनी होगी। गौरतलब है कि उक्त निर्माण कार्य के दौरान वन मंडल अधिकारी लालजी मिश्रा द्वारा टेंडर स्वीकृत किया गया था, जिसे ताक पर रखकर अन्य प्रतिष्ठान से अमानक ईंटों को महंगे दाम में खरीदा गया।
इस मामले में पीएल टिटारे, वनमंडल अधिकारी, पूर्व- सामान्य, मंडला का कहना है कि मामला को विस्तार से देखने के बाद ही इस पर टिप्पणी की जा सकती है। यदि लापरवाही हुई है तो कार्रवाई की जाएगी।