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यहाँ मिलते है तीन से लेकर 21 पत्तियों वाले बेल पत्र

हिरदेनगर की शिव वाटिका में है दुर्लभ बेल वृक्ष

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यहाँ मिलते है तीन से लेकर 21 पत्तियों वाले बेल पत्र

यहाँ मिलते है तीन से लेकर 21 पत्तियों वाले बेल पत्र

मंडला. मंडला जिला मुख्यालय से करीब 7 किमी दूर वर्षो पुराना एक ऐसा ही पेड़ है, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। इस पेड़ के दर्शन करने और इसकी पत्तियों की चाह में शिव भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं। वहीं इस पेड़ की सेवा करने वाला परिवार लोगों को इसका महत्व बताने के साथ ही बेल की पत्तियां भी तोड़ कर देता है। मंडला के हिरदेनगर की शिव वाटिका अपने बेल पत्रों के लिए मशहूर है। दूर-दूर से यहां शिव भक्त आते हैं। इस वाटिका की खासियत है कि यहां 3 से लेकर 21 पत्तियों वाले बेल पत्र एक पेड़ में पाए जाते हैं। पुराणों और धार्मिक कथाओं के अनुसार बिल्ब पत्र जिसे साधारण भाषा में बेल पत्र कहा जाता है। इसकी उत्पत्ति मां भगवती के पसीने की बूंद से मैकल पर्वत पर मानी जाती है। वहीं भगवान भोलेनाथ को ये भोजन के रूप में अत्यंत प्रिय है। इसलिए भगवान शिव का कोई भी धार्मिक अनुष्ठान बिना बेल पत्र के पूरा नहीं माना जाता। भगवान शिव का अभिषेक हो या सावन सोमवार की पूजा, हर अनुष्ठान में इसका महत्व होता है। बेल पत्र सामान्य तौर पर तीन पत्तियों के होते हैं, लेकिन मंडला जिले के हिरदेनगर की शिव वाटिका में जो बेल पत्र पाए जाते हैं, इन बेल पत्र में पांच और इक्कीस पत्तियां तक होती हैं।


दुर्लभ हैं तीन से ज्यादा दलों वाले बेल पत्र
मन्यता है कि तीन से ज्यादा दलों वाली बेल पत्र को भगवान शंकर को चढ़ाने के बाद घर के मुख्य दरवाजे में फ्रेम करा कर रखने से पूजा स्थल पर रख कर प्रतिदिन पूजा करने, रामायण या धार्मिक किताबों में दबा कर रखन, तिजोरी या आलमारी, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में रखने से अलग-अलग तरह के फल प्राप्त होते हैं। ऐसे पेड़ भारत में लाखों में एक पाए जाते हैं। ये पेड़ ज्यादातर नेपाल में मिलते हैं। भगवान शंकर के त्रिनेत्र और त्रिशूल के साथ ही 3 लोकों के स्वरुप बेलपत्र के 12 दलों वाली पत्तियों को बारह ज्योतिर्लिंगों जैसा महत्व दिया जाता है।
चार प्रकार के होते है बिल पत्र
बेल पत्र का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। बिल्व पत्र चार प्रकार के होते हैं। अखंड बिल्व पत्र, तीन पत्तियों के बिल्व पत्र, 6 से 21 पत्तियों के बिल्व पत्र और श्वेत बिल्व पत्र। इन सभी बिल्व पत्रों का अपना-अपना आध्यात्मिक महत्व भी है। अखंड बिल्व पत्र का वर्णन बिल्वाष्टक में है। यह अपने आप में लक्ष्मी सिद्ध है। एकमुखी रुद्राक्ष के समान ही इसका अपना विशेष महत्व है। यह वास्तुदोष का निवारण भी करता है। इन्हें भगवान शंकर को अर्पित करने का विशेष महत्व है।

इनका कहना है

बेल का पेड़ शिव का स्वरूप है, इसे श्री वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। मां लक्ष्मी के रूपरूप में यह वृक्ष होता है। बेलपत्र से भोले नाथ प्रसन्न होते है, बेल वृक्ष की जो भक्त सेवा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। तीन दलों से अधिक दलों वाले बेल पत्र दुलर्भ से ही मिलते है। सावन माह में बेल पत्र चढ़ाने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।
पंडित विजयानंद शास्त्री, बम्हनी बंजर

तीन से अधिक दलों वाले बेल पत्र का महत्वपूर्ण महत्व है। यह भगवान शिव में चढ़ाया जाता है। जिसका अलग ही महत्व है। हिरदेनगर में लगे इस दुलर्भ बेल पत्र को दूर-दूर से लोग लेने आते है और भगवान शिव को अर्पित करते है। यहां तीन दलों से अधिक दलों वाले बेल पत्र है।
राकेश चौरसिया, ग्रामीण, हिरदेनगर

यहां हिरदेनगर में वर्षो से यह दुलर्भ बेल का पेड़ है। तीन दलों से अधिक दलों वाली बेल की पत्ती बहुत ही शुभ मानी जाती है। यहां आए बहुत से साधु संतों ने बताया कि इस पत्ती को भगवान शिव में चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है। यहां 3, 9, 11, 12, 13, 19 और 21 दलों वाले बेल पत्र यहां लगे पेड़ में मिलते है।
मुरलीधर नंदा, ग्रामीण, हिरदेनगर