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भ्रष्टाचार के मामले में तहसीलदार नजूल के रीडर को सजा

अलग-अलग धाराओं में 4 एवं 5 वर्ष की सजा, 10 हजार रूपए का भी लगाया जुर्माना

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In the case of corruption, punishment of Tahsildar Najaul reader

भ्रष्टाचार के मामले में तहसीलदार नजूल के रीडर को सजा

मंडला। विशेष न्यायधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम द्वारा विशेष प्रकरण के मामले में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने आरोपी सुरेंद्र साहू तत्कालीन रीडर तहसीलदार नजूल न्यायालय मंडला को दोषी पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 में 4 वर्ष का कठोर कारावास एवं दस हजार रुपए जुर्माना तथा 13(1)(डी), 13(2) में 5 वर्ष के कठोर कारावास एवं दस हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है।
जानकारी के अनुसार जिला अभियोजन अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि प्रार्थी सत्येंद्र साहू द्वारा लोकायुक्त कार्यालय जबलपुर में 10 जनवरी 2017 को शिकायत की गई थी कि, चिलमन चौक मंडला में ओम होटल के नाम से उसकी चाय नाश्ते की दुकान है। उक्त दुकान पर उसके पिता लल्लू लाल साहू कई वर्षों से काबिज थे तथा उनकी मृत्यु के बाद उक्त दुकान का संचालन उसके द्वारा किया जा रहा है। उक्त दुकान के संबंध में तहसील न्यायालय मंडला में अतिक्रमण का प्रकरण चल रहा है, जिसके निराकरण के लिए तहसील कार्यालय में पदस्थ बाबू सुरेंद्र साहू द्वारा बीस हजार रुपए की रिश्वत की मांग की जा रही है। प्रार्थी सत्येंद्र साहू के शिकायत के आधार पर पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय जबलपुर के द्वारा ट्रैप दल का गठन किया गया।
ट्रैप दल द्वारा कार्रवाई करते हुए 12 जनवरी 2017 को आरोपी सुरेंद्र साहू को 17,000 रुपए रिश्वत प्रार्थी सत्येंद्र साहू से लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। विवेचना की कार्रवाई के बाद आरोपी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 तथा 13(1)(डी), 13(2) का अपराध प्रमाणित पाए जाने पर उसके विरुद्ध अभियोग पत्र न्यायालय में वर्ष 2018 में प्रस्तुत किया गया। 30 जुलाई 2019 को विशेष न्यायाधीश मंडला द्वारा अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को विश्वसनीय मानते हुए उसे धारा 7 में 4 वर्ष का कठोर कारावास एवं दस हजार रुपए जुर्माना तथा 13(1)(डी), 13(2) में 5 वर्ष के कठोर कारावास एवं दस हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया गया। जिला अभियोजन अधिकारी मंडला द्वारा बताया गया कि पुलिस महानिदेशक लोक अभियोजन राजेंद्र कुमार के द्वारा अभियोजन कार्रवाई की निरंतर समीक्षा किए जाने के कारण प्रभावी अभियोजन के परिणाम स्वरूप पिछले 3 वर्षों से भ्रष्टाचार के मामलों में शत-प्रतिशत सजा हो रही है।