8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जानिए ऐतिहासिक मंदिर के दृश्य, यहॉ के मंदिर में ऋणों से मिल जाती है मुक्ति

दूर दराज से देखने आते है लोग  

2 min read
Google source verification
जानिए ऐतिहासिक मंदिर के दृश्य, यहॉ के मंदिर में ऋणों से मिल जाती है मुक्ति

जानिए ऐतिहासिक मंदिर के दृश्य, यहॉ के मंदिर में ऋणों से मिल जाती है मुक्ति

मंडला. जिला मुख्यालय से महज 10 किमी दूर रायपुर नेशनल हाईवे 30 पर ग्राम पंचायत पीपरपानी के खड़देवरी गांव में स्थित शिव मंदिर काफी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां पूजन अर्चन दर्शन करने से पूर्व जन्मों के किसी भी तरह के ऋणों से मुक्ति मिल जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मनुष्य जन्म लेता है तो कर्मानुसार उसकी मृत्यु तक कई तरह के ऋण, पाप और पुण्य उसके साथ चलते हैं। शास्त्रों के अनुसार तीन तरह के ऋण देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण और कहीं-कहीं ब्रम्हा ऋण का भी उल्लेख मिलता है। इन ऋणों को चुकता करने के बाद ही मनुष्य पाप, संकटों से छुटकारा पा सकता है और खड़देवरी के स्वयंभू भगवान शिव के दर्शन मात्र से इन ऋणों से छुटकारा पाया जा सकता है। जिसके चलते यहां विशेष रूप से सावन महीने में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। हां भगवान शिव को ऋण मुक्तेश्वर भी कहा जाता है। नर्मदा तट में होने से इसका और भी महत्व बढ़ जाता है। यहां सामान्य दिनों में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं वहीं सावन माह में तो यहां सुबह से देर शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। खड़देवरी निवासी संदीप बड़गैया ने बताया कि जब भी उन्हें मौका मिलता है वे यहां भगवान शिव के दर्शनों के लिए चले आते हैं। खुशबू बड़गैया ने बताया कि आम दिनों में तो वे यहां ऋणमुक्तेश्वर भगवान के दर्शनों के लिए पहुंचती ही हैं वहीं संपूर्ण सावन माह अपने पूरे परिवार के साथ यहां पूजन-अर्चन दर्शनों के लिए जाती हैं। इस मंदिर का जहां धार्मिक महत्व है नर्मदा पुराण में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। वहीं ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह मंदिर काफी महत्व रखता है। जानकारी अनुसार आज से करीब 500 साल पहले राजा हृदय शाह ने इस मंदिर का निर्माण कराया था, समय के साथ-साथ यह मंदिर जर्जर हो गया, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा इस मंदिर को अधीनस्थ किया गया है। विभाग द्वारा इसका संरक्षण तथा विकास कराया गया है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इस मंदिर में कोई भी श्रद्धालु अपनी बीमारी लाचारी को दूर करने के लिए मांग करने आते हैं तो स्वयं शंभू भगवान उनकी मांग की पूर्ति करते हैं लेकिन कपट भावना से कोई व्यक्ति मांग करने आता है तो वह इस मंदिर पर नहीं पहुंच पाता। हर्ष ने बताया कि यहां शिवलिंग की स्थापना कहीं बाहर से लाकर नहीं की गई है बल्कि यहां जो शिवलिंग है वह स्वयंभू है अर्थात आज जहां शिवलिंग स्थापित है उसी स्थान से यह शिवलिंग जमीन के अंदर से अपने आप निकला था। पुराणों में इन्हें ऋणमुक्तेश्वर कहा गया है। यह मंदिर दो भागों में बना हुआ है। ऊपरी भाग में हाथ से बनी हुई प्रतिमाएं दीवारों पर अंकित है। जिसमें लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश तथा हनुमान जी की प्रतिमा है। वहीं नीचे तल पर स्वयं शंभू ऋण मुक्तेश्वर भगवान का शिवलिंग है। यहां नर्मदा परिक्रमा मार्ग होने से परिक्रमावासी भी यहां नर्मदा स्नान कर भगवान ऋणमुक्तेश्वर के दर्शन कर आगे प्रस्थान करते हैं।