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अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने पनिका समाज ने सौंपा ज्ञापन

प्रदेश में पनिका समाज से हो रहा भेदभाव

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Memorandum handed over to Panic society by unleashing ST status

अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने पनिका समाज ने सौंपा ज्ञापन

नारायणगंज। अनुसूचित जनजाति का दर्जा के लिए पनिका समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री के नाम नायब तहसीलदार बीजाडांडी को ज्ञापन सौंपा है। मंगलवार को बड़ी संख्या में पनिका समाज के लोग रैली निकाल कर तहसील कार्यालय बीजाडांडी पहुंचे और ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई है कि पनिका जाति को संपूर्ण मप्र में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए जिसके लिए 17 फरवरी 2004 को प्रस्ताव जनजाति कार्य मंत्रालय शास्त्री भवन भारत सरकार नई दिल्ली को भेज दिया गया है। जिस पर अतिशीघ्र कार्यवाही की जाए। ज्ञापन सौंपने पहुंचे मप्र पनिका समाज विकास समिति बीजाडांडी के अध्यक्ष भगवान दास भासंतए उपाध्यक्ष निर्मल दास पड़वारए ब्लॉक प्रभारी भगवानदास धनेश्वर आदि ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में निवासरत पनिका जाति को शासन ने 10 दिसंबर 1971 तक अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में सम्मलित रखा गया था। लेकिन 17 दिसंबर 1971 से पनिका जनजाति को प्रदेश के कुछ जिले सीधीए सतनाए पन्नाए छतरपुरए टीकमगढ़ए रीवाए शहडोलए और उमरिया जिलों को छोड़कर प्रदेश के शेष जिलों में निवासरत पनिका जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची से विलोपित कर दिया गया है। पदाधिकारियों का कहना है कि एक ही प्रदेश में एक ही जाति के लोगों को दो वर्गों में बांटकर भेदभाव उत्पन्न कर दिया गया है। एक को अनुसूचित जनजाति मानकार शासन की सभी सुविधाएं दी जा रही है तो दूसरे को पिछड़ा वर्ग में सम्मिलित कर लाभ से वंचित किया जा रहा है। बताया गया कि पनिका जनजाति प्रदेश के विभिन्न जिलों में लगभग 50 लाख निवासरत हैं एवं गरीबी रेखा के नीचे रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं जबकि पनिका जाति के लोगों का खान.पानए रहन.सहनए रीति.रिवाज अन्य आदिवासियों की तरह है। एक दूसरे से रोटी बेटी का संबंध भी रखते हैं इसके बाद भी सरकार भेदभाव पूर्णं व्यवहार कर रही है। शासन के द्वारा संगठन के पदाधिकारियों को जनकारी दी जा रही है कि पनिका जाति पर क्षेत्रीय प्रतिबंध लगा हुआ है। जब तक क्षेत्रीय बंधन समाप्त नहीं हो जाते तब तक संपूर्ण मप्र में पनिका जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देना संभव नहीं है।
संगठन के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत अनुसूचित जनजाति कार्य मंत्रालय शास्त्री भवन भारत सरकार नई दिल्ली को आवेदन प्रस्तुत कर पनिका जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाए गए आदेश की छायाप्रति की मांग की गई थी लेकिन आज तक चाहे गए अभिलेख विभाग द्वारा प्रदान नहीं किए गए हैं। समाज के लोगों का कहना है कि जब हटाने के आदेश सरकार के पास नहीं है तो पनिका जाति को पूर्व की भांति संपूर्ण मप्र में अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मिलित किया जाए। मप्र सरकार ने 2004 में प्रस्ताव परित कर जनजाति कार्य मंत्रालय शास्त्री भवन भारत सरकार नई दिल्ली को भेज दिया गया है। इसके बाद भी प्रदेश में पनिका जाति को संपूर्ण मप्र में अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिला है।