1933 में महात्मा गांधी ने सभा को किया था संबोधित, तब से नाम पड़ा गांधी मैदान
मंडला. 15 अगस्त को देश 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, इस अवसर पर तिरंगा झंडा आन-बान और शान के साथ लहराकर सलामी दी जाएगी। यह आजादी हजारों शहीदों के बलिदान के बाद मिली है, स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में मंडला जिले का नाम भी दर्ज है। शहीद उदय चंद जैन जैसे बालक मंडला की धरती पर हुए हैं जिन्होंने अंग्रेजों की गुलामी को न स्वीकारते हुए मात्र 14 साल की उम्र में अपने सीने में गोली खाई थी।
इसी तरह मंडला शहर के कुछ स्थान भी स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन के कारण इतिहास में दर्ज हैं। इनमें से एक है रंगरेजघाट का गांधी मैदान, जहां महात्मा गांधी ने विशाल जन सभा को संबोधित किया था। वहीं शहर के बीच बड़ चौराहा में लगा बरगद का पेड़, इसलिए इतिहास के पन्नों में दर्ज है, क्योंकि इस पेड़ में अंग्रेजों ने अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करने वालों को फांसी में फंदे लटकाकर मौत की सजा सुनाते थे। जिन्होंने आजादी के आंदोलन में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया, आज शासन-प्रशासन के जिम्मेदार उन क्रांतिकारियों के बाकी निशान को सहेजने की जगह उजाड़ने का काम कर रहे हैं। भारत को आजादी दिलाने में मंडला जिले का भी बड़ा योगदान रहा है। सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की आग पूरे देश में तेजी से फैल रही थी। उस दौरान आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में भी लोग बढ़चढ़ कर आंदोलन में शामिल हो रहे थे। उस वक्त मंडला के उपनगरीय क्षेत्र महराजपुर के हनुमान जी वार्ड निवासी उदय चंद्र जैन भी छात्र जीवन से ही आजादी के आंदोलन की आग में कूद पड़े। आंदोलन की मशाल लेकर सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में उदयचंद्र जैन 15 अगस्त 1942 के दिन मंडला में जुलूस निकाल रहे थे , तभी अंग्रेजों ने जुलूस को रोकने के लिए प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए लाठीचार्ज कर दिया। लेकिन आंदोलनकारियों का प्रदर्शन जारी रहा और जुलूस का कारवां आगे बढ़ते रहा तो अंग्रेजों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने की धमकी दी। उस वक्त स्कूली छात्र रहे मंडला जिले के अमर शहीद उदयचन्द्र जिनकी उम्र 14 वर्ष थी, वो अंग्रेजी सैनिकों को ललकारने लगे। अंग्रेजी सेना ने बालक के सीने में गोली मारकर उन्हें शहीद कर दिया। महज 14 साल की उम्र में देश की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान कर उदय चंद्र भारत के इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गए। अमर शहीद उदय चंद्र जैन के परिवार को अपने लाड़ले की शहादत पर गर्व तो होता है लेकिन स्थानीय प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा की जा रही उपेक्षा से मायूस नजर आते हैं। प्रशासन ने शहीद उदय चंद्र की याद में स्मारक और चैक तो बनवा दिया है। लेकिन देखरेख के अभाव में स्मारक दुर्दशा और अतिक्रमण का शिकार हो गया है। 16 अगस्त को शहीद उदय चंद्र जैन का बलिदान दिवस मनाया जाता है।