
मां ममता,स्नेह की प्रतिमूर्ति
मंडला। मां शब्द ही अपने आप में पूर्ण हैं। सबसे खूबसूरत रिश्ता एक मां का अपने बच्चे के साथ होता है। मां से सब कुछ सीखते-सीखते हम सब लड़कियां एक दिन थोड़ी-थोड़ी अपनी मां जैसी ही तो बन जाती हैं। मां-बेटी के रिश्ते का यही तो खास आयाम है। आज मदर्स डे है। इस मौके पर प्रतीक्षा खरे गौड ने अपना अनुभव बताया। प्रतीक्षा ने अपने दाम्पत्य व मातृत्व जीवन के लिए नौकरी छोड़ दी। प्रतीक्षा मप्र विद्युत मंडल में इंजीनियर थी। उन्होंने ने बताया कि मातृत्व के लिए मैंने सहर्ष अपना जॉब छोड़ दिया। शादी के चौथे वर्ष में मुझे मातृत्व का उपहार मिला है। मां बनना बहुत ही बड़े सौभाग्य की बात होती है। में एक अनिवर्चनीय सुख का अनुभव कर रही हूं। बेटी रेवा का 20 फरवरी को सिजेरियन से जन्म हुआ, उसके मेरे बगल में आते ही मैं न केवल भावविव्हल हो गई, बल्कि मेरा सारा दुख-दर्द व नौ माह की परेशानी एकदम से नदारद हो गई। मैं अपनी इस ढाई माह की बेटी में अपना बचपन देख रही हूं। यदि इन ढाई माहों की बात करें तो बेटी को फीड कराने से लेकर, उसकी देखभाल-लालन पालन में एक अलौकिक आनंद की अनुभूति हो रही है। यह हकीकत है कि जब किसी नारी पर ईश्वर की बहुत बड़ी कृपा होती है, तभी उसे मां बनने का सौभाग्य मिलता है। मै मेरी हम उम्र सभी बहनों से यही कहना चाहूंगी कि मां रूप में नारी सर्वोच्च होती है और इस रूप में वह ईश्वर की प्रतिनिधि भी होती है, इसलिए मां बनने पर नारी को मातृत्व का गौरव-गरिमा, मर्यादा हर हाल में बनाए रखना चाहिए। नई मांओं को चाहिए कि वे धैय, परिपक्वता, उत्साह, लगन, लगाव व गंभीरता के साथ अपने कर्तव्य का निर्वाह करें। बच्चा कितना भी तंग करे, परेशान करे, रोये, पर मां की तारीफ तो तभी है जब इतना सब होने के बाद भी उसके चेहरे पर शिकन न आये। तभी उसके मां होने की सार्थकता है। वैसे भी 'मांं ममता, करुणा व स्नेह की प्रतिमूर्ति होती है। तो यह सिध्द है ही कि मां जिस तरह से अपने बच्चे की देखभाल करेगी, वैसी ही उसकी संतान बनेगी। मैं अपनी इस छोटी-सी बेेेटी के रूप में अपना बचपन भी जी रही हूूं।
Published on:
12 May 2019 06:02 pm
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