
मंडला. जिले में धान, गेहूँ एवं अन्य फसलों की कटाई के बाद खेतों में फसल अवशेषों को जलाये जाने से प्रदूषण के कारण पर्यावरण में विभिन्न प्रकार की समस्याऐं उत्पन्न हो रही है। किसानों से कई बार अपील किए जाने के बावूजद नरवाई जलाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। शासन प्रशासन के ध्यान न दिए जाने से बम्हनी-नैनपुर क्षेत्र में किसानों द्वारा नरवाई धड़ल्ले से जलाई जा रही है। जिससे आए दिन घटनाएं भी हो रही हैं। दूसरे किसानों को इसका खमियजा भी भुगतना पड़ रहा है। अप्रेल माह के अंत में बम्हनीबंजर व आसपास गांव के खेतों में लगी आग से कृषि पंप, भूसा आदि जलने से काफी नुकसान भी हुआ है। अब भी हजारों हैक्टेयर क्षेत्र में बोई गई फसल की नरवाई खेतों में पड़ी हुई है। उसकी सफाई करने के नाम पर किसानों द्वारा जलाई जा रही है। इस मुद्दे को पत्रिका ने ४ मई २०१८ के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। यही कारण है कि अब विभाग ने नियमों का उल्लंघन करने वाले किसानों पर सख्त कार्रवाई करते हुए जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास से दी गई जानकारी के अनुसार, प्रदूषण एक्ट 1981 की धारा 19 (1) के तहत् फसल अवशेषों को जलाये जाने पर व्यक्ति, निकाय को पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि माननीय नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल को निम्नानुसार- 2 एकड़ से कम भूमि स्वामी, निकाय- 2 हजार 500 रूपये, 2 एकड़ से अधिक एवं 5 एकड़ से कम भूमि स्वामी, निकाय- 5 हजार रूपये, 5 एकड़ से अधिक भूमि स्वामी, निकाय- 15 हजार रूपये देय करना होगा। गौरतलब है कि नरवाई जलाने से भूमि में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु एवं पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है, भूमि की जल धारण क्षमता प्रभावित होती है मृदा तापमान बढ़ता है पर्यावरण प्रदूषित होता है। जन स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि जिले में बेहतर पर्यावरण, जन स्वास्थ्य एवं जीव जंतुओं की जीवन सुरक्षा के लिए नरवाई न जलाने की लगातार अपील की जा रही है।
नरवाई जलाने से नुकसान
= नरवाई में आग लगने के कारण मिट्टी की उपजाऊ के साथ जीवजंतु और वायुमंडल को खराब कर रहा है।
= इसकी आग में हजारों जीव जंतु छटपटाते हुए दम तोड़ रहे है।
= खेतों की उर्वरता क्षमता को भी नष्ट हो रही है।
= नरवाई की यह आग पशु चारे खेतों की उर्वरता क्षमता, मिट्टी की जलग्रहण क्षमता, जैव विविधता को भी नष्ट कर रही है।
= नरवाई जलाने के दौरान तेज हवा या आंधी से आग लगने का खतरा भी बना हुआ है।
= नरवाई में आग लगने के बाद मिट्टी उर्वरता कम होने के साथ फसलों की पैदावार घटती जाती है। जिसमें सल्फर ऑक्साइड, ऑक्सीजन और कार्बनडाई ऑक्साइड कमी हो जाती है।
= मिट्टी में जो गैसे मिली है। वे भी अपनी सीमा से अधिक मात्रा में नहीं रह पाती।

Published on:
12 May 2018 05:39 pm
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