15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ऑक्सीजन का नहीं हो रहा उपयोग, देखरेख के अभाव में धूल खा रहे प्लांट

माह के सिर्फ एक दिन चालू करते हैं ऑक्सीजन प्लांट ताकि खराब न हो जाएं

2 min read
Google source verification
ऑक्सीजन का नहीं हो रहा उपयोग, देखरेख के अभाव में धूल खा रहे प्लांट

ऑक्सीजन का नहीं हो रहा उपयोग, देखरेख के अभाव में धूल खा रहे प्लांट

मंडला. जिला अस्पताल मंडला में दो ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। करीब एक साल बीत गया है लेकिन प्लांट का कोई उपयोग नहीं हो रहा है। दोनो प्लांटो को सिर्फ इसलिए माह में एक बार एक घंटे के लिए चालू किया जाता है कि प्लांट खराब ना हो जाए। लाखों रूपए के ऑक्सीजन प्लांट वर्तमान में धूल खा रहे है। इनके प्रवेश द्वार पर ताला लगा हुआ है। इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। बताया गया है कि कोरोना की दूसरी लहर में शहर ही नहीं पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी के चलते हाहाकार मच गया था। हालत यह हो गई थी कि ऑक्सीजन के लिए लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ रहा था। यहां मंडला में एक एक सिलिंडर के लिए लोग परेशान हुए थे। तीसरी लहर के अलर्ट के चलते शासन जिला अस्पताल पीएम केयर और भारत पेट्रोलियम के सहयोग से दो ऑक्सीजन प्लांट लगवाए गए थे जो अब कोई काम के नहीं है। अस्पताल में भोपाल से लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही है जिसे जिला अस्पताल के टैंक में स्टोर किया जाता है। इसके अलावा जिले के अन्य अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिविल अस्पताल में पुरानी व्यवस्था से काम चल रहा है। इससे शासन प्रशासन को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है।

आता है अधिक बिजली बिल

बताया गया है कि जिला अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए है। एक 1100 एलपीएम दूसरा 1000 एलपीएम क्षमता के आक्सीजन प्लांट है लेकिन इन चालू करना जिला अस्पताल के लिए सिरदर्द है। पहली समस्या यह है कि प्लांट को चालू करने में बिजली बिल अधिक आता है। एक घंटे प्लांट चालू करने में ही करीब बीस से तीस हजार रूपए का बिल जनरेट होता है और महीने भर प्लांट चला तो करीब दो से तीन लाख का बिजली बिल सिर्फ प्लांट का ही होगा।