
टिकिट में शुद्ध लिखावट ना होने से यात्री हो रहे गुमराह
मंडला. यात्रियों की यात्रा सुगम हो और उन्हें सफर में सहूलियत मिले, ये सारी बातें कागजों पर ही दिखाई दे रही हैं। इस भीषण गर्मी में इन दिनों बस संचालक यात्रियों को परेशान कर रहे। अलग-अलग मार्गों पर चल रही यात्री बसों में न तो सुरक्षा के प्रबंध हैं और न ही अन्य सुविधाएं। पत्रिका टीम ने बसों की पड़ताल की तो १० यात्री बसों में से किसी में इमरजेंसी गेट नहीं मिला। इस गेट के स्थान पर सीटें लगा दी गई हैं। कुछ बसों में इन सीटों पर चार-चार यात्री टिकट के साथ बैठे मिले। फस्र्ट एड बॉक्स भी किसी बस में नहीं था। विगत दिनों पहले आरटीओ अधिकारी विमलेश गुप्ता द्वारा बस संचालक के ऊपर कार्यवाही भी की थी। बावजूद बस संचालक द्वारा यात्रियों को ठसा-ठसा भर रहे है। 52 सीटर बस में लगभग 70 यात्री बैठ रहे हैं जिसमें कुछ यात्री खड़े होकर भी बस का सफर तय कर रहे हैं। वैवाहिक सीजन होने के कारण सफर करने वाले लोंगो की संख्या भी बढ़ गई है। यात्रियों से पूरा किराया वसूलने के बावजूद उन्हें सुविधाएं नहीं पा मिल रही। वहीं अंदर से खस्ताहाल बसों को बाहर से रंगरोगन कर चलाया जा रहा है। यात्रियों को पूछताछ काउंटर नही मिलने के कारण यात्री इधर उधर परेशान होते दिखाई दिए। बस स्टेण्ड परिसर में जब पत्रिका की टीम ने यात्री संतोष सैयाम से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि बस संचालक द्वारा सीट बोल कर मुझे जबलपुर से मंडला के लिए बैठाल तो लिया गया लेकिन जब बस चलने लगी तो, मैंने जब कांडेक्टर से सीट के बारे में चर्चा की तो कन्डेक्टर ने कहा कि आगे खाली हो जाएगी। लेकिन मुझे नारायणगंज तक खड़े-खड़े आना पड़ा, जबकि मैंने जबलपुर से मंडला आने तक का सम्पूर्ण किराया दिया था। बावजूद इसके बस संचालक अच्छी सुविधाएं के नाम पर यात्री से पैसा वसूल रहे हैं। परिवहन विभाग की अनदेखी के चलते बस संचालकों की एक बड़ी मनमानी सामने आई हैं। यात्रियों की शिकायत के बाद जब बसों में जाकर देखा तो अधिकांश बसों में किराया सूची गायब ही मिली। वहीं कंडक्टर द्वारा बताई जाने वाली राशि के अनुसार की यात्री किराया देते नजर आए। मामले में अब परिवहन अधिकारी ने कार्रवाई की बात कही है। टिकट के नाम पर कागज का टुकड़ा थमाते नजर आए, तो अधिकांश यात्रियों से बिना टिकट की किराया लेते नजर आए। खास बात यह रही कि बसों में यात्रियों को मिलने वाली व्यवस्थाएं भी नजर नहीं आईं।
जवाब देने से बचते नजर आए कंडक्टर
जबलपुर से मंडला चलने वाली अनेक बस के कंडक्टर से जब टिकट और किराया सूची के बारे में पूछा गया, तो पहले तो वह सेठ से बात करने की बात करते नजर आए। बाद में कंडक्टर ने कहा कि किराया सूची पहले बस में लगी थी, बीच में निकाल दी गई। सेठ से मिलने वाली बुकिंग बंदी से ही यह टिकट दी जाती है। इसमें ट्रेवल्स कंपनी का नाम नहीं होता है। कंडक्टर के अनुसार किराया किसी से भी अधिक नहीं वसूलने की बात कही गई। बसों में सवार यात्रियों से चर्चा की गई तो माजरा कुछ और ही नजर आया। मुनू के यात्री ने बताया कि अनेक बार तो पूरा किराया देने के बाद भी सीट से बीच में उठा दिया जाता है, जिससे काफी परेशानी होती है। बहस पर बस कंडक्टर द्वारा बस से उतारने तक की बात कर दी जाती है। सिवनी जा रहे यात्री सौरभ विश्वकर्मा ने बताया कि ज्यादा किराया बस में लगता है। किराया सूची नहीं होने के बाद पता नहीं होता कि कितना किराया लगता है। ऐसे में जितना किराया बस कंडक्टर मांगता है, देना मजबूरी होती हैं। मध्यप्रदेश परिवहन द्वारा 1.२५ रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से यात्री बसों का किराया तय रखा है। इसके लिए किराया सूची भी बस में लगाना भी अनिवार्य कर रखा है। जबकि अधिकांश बसों में 1.२५ रुपए प्रति किलोमीटर से अधिक किराया लिया जा रहा है। खास बात यह है कि अलग-अलग बसों में किराया भी अलग होता है। जिससे यात्रियों को अधिक रुपए देने पड़ रहे हैं।
इनका कहना-
परिवहन विभाग द्वारा बसों में 11 से 16 नंबर सीट को महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है। सीटों पर नंबर होना भी जरूरी है। लेकिन महिला सीट तो क्या अधिकांश सीटों पर नंबर ही नहीं है और यात्रियों के टिकट पर भी नंबर नहीं दिए जाते हैं। मंडला जबलपुर में चल रही बस में यात्री हर दिन गेट पर लटके मिलते है जब बस के फोटो खींचे गए तो कंडक्टर ने गेट पर लटके कुछ यात्रियों को बस से उतार दिया, लेकिन अधिकांश बसों में यही स्थिति। यात्री 5-10 रुपए कम किराए के लालच में खुद ही अपनी सुरक्षा-सुविधा को खतरे में डाल देते हैं। आपके द्वारा मामले को संज्ञान में लाया गया है। अगर बस संचालक द्वारा यात्रियों को उचित सुविधाएं व उचित व्यवस्थाए नही दें पा रहे है। तो इस पर बसों का निरीक्षण करते हुए मैं उचित कार्यवाही करूंगा।
विमलेश गुप्ता, आरटीओ अधिकारी, जिला मण्डला
Published on:
17 May 2022 03:42 pm
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