
चिन्हित दुकानों से सामग्री खरीदने के लिए पेरेंट्स पर दबाव बनाते हैं स्कूल संचालक
मंडला. नवीन शिक्षा सत्र शुरू हो गया है, इसी के साथ शुरू हो गई है प्राइवेट स्कूलों की मनमानी। कई प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस को लेकर मनमानी की जा रही है। स्टेशनरी, यूनीफार्म कहां से किस दुकान से खरीदना है इसका पता भी प्राइवेट स्कूलों द्वारा बताया जा रहा है ताकि उन स्कूलों को स्टेशनरी, यूनीफार्म के बदले अच्छा कमीशन मिल सके। प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले पंकज चौरसिया ने बताया कि पहले स्कूल में बच्चों की साल भर की फीस वसूली जाती थी जिसका विरोध किया गया जिसके बाद शासन द्वारा अब 10 माह की भी फीस वसूलने के निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन कई प्राइवेट स्कूलों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। उनके द्वारा पहले 12 महीने की फीस जितनी ली जाती थी। अब उसी राशि को 10 महीने की फीस में बदल कर अधिक फीस ली जा रही है।
स्कूलों में जरूरी सुविधाओं का अभाव
जानकारी अनुसार जिले में प्राइमरी और मिडिल प्राइवेट स्कूलों की संख्या करीब 182 है वहीं 9 वीं से 12 वीं सीबीएसई को मिलाकर कुल प्राइवेट स्कूलों की संख्या में 38 के लगभग है। शासन के निर्देशानुसार सभी प्राइवेट स्कूलों में खेल मैदान, पक्का भवन, पानी, छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय, लाइब्रेरी, खेल संसाधनों की उपलब्धता होना चाहिए लेकिन जिला मुख्यालय में ही संचालित कई प्राइवेट स्कूलों में स्कूल भवन तो आलीशान बनाया गया है ताकि अधिक से अधिक बच्चों का प्रवेश कराया जा सके लेकिन उनके बच्चों को खेलने के लिए जरूरी खेल मैदान कई प्राइवेट स्कूलों में नहीं है, जबकि स्कूलों द्वारा अभिभावकों से खेल गतिविधियों के नाम पर अतिरिक्त फीस की वसूली की जा रही है।
Published on:
08 Jul 2023 07:35 pm
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