माधोपुर. रामकथा के श्रवण से मन के राग, द्वेष, ईर्ष्या, और भेदभाव स्वत: समाप्त हो जाते हैं। यह मन को शांत कर हिंसक भावनाओं का रोकती है। यह कहना श्रीराम कथा का वाचन कर रहे सुरदास महाराज का है। ग्राम बरगंवा के सिद्ध आश्रम में 22 जनवरी से श्रीकथा एवं महायज्ञ का आयोजन किया गया। जिसका समापन 30 जनवरी को हवन एवं भंडारे के साथ हुआ। कथा वाचक सुरदास महाराज ने राम नाम की महिमा बतलाते हुए कहा कि राम का नाम अनमोल है, यदि पापी भी राम का नाम लेता है तो उसे सदगति मिल जाती है। जिसके ह्दय में प्रभु के प्रति भाव जागते हैं, जिस पर हरि कृपा होती है। वह मनुष्य ही प्रभु की कथा में शामिल होता है। श्रीराम कथा का मनोयोग से श्रवण कर उसके उपदेश को जीवन में उतारें। तभी कथा की सार्थकता है। मन व ध्यान की एकाग्रता से हर कार्य में सफलता मिलती है। भगवान का आगमन सदैव धर्म की रक्षा के लिए हुआ है। रामायण हमें समाज के संस्कार, अच्छे-बुरे की पहचान सिखाती है। सच्ची भक्ति से ही भगवान की प्राप्ति की जा सकती है। यहां नर्मदा जन्मोत्सव के दिन देवी जागरण का आयोजन किया गया था। जिसमें सिवनी जिले के गायकों ने भक्तों गीतों की प्रस्तुति दी। समापन दिवस पर सैकड़ों की संख्या में यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं ने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया।